हीट स्ट्रोक- (लू) सामान्य नहीं गंभीर रोग, हीट स्ट्रोक क्या है ? प्रमुख लक्षण, बचाव के उपाय

Dharmender Singh Malik
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Heat Stroke : इस समय गर्मी अपने पूरे शबाब पर हैं और इस दौरान थोड़ी सी लापरवाही घातक के साथ मौत का कारण बन जाती हैं। इसमें बचाव ही बहुत जरुरी हैं। हीट स्ट्रोक अत्यधिक तापमान में लंबे समय तक रहने के कारण होता है और इसे तत्काल इलाज की जरूरत होती है। गर्मी का मौसम साल का सबसे कठीन मौसम होता है। हलाकि हर कोई आपने आपको इसके लिए तैयार करता लेकिन साल में यही वो समय जब सभी छुट्टीयों को भी इंजाय करना चाहते हैं। लेकीन यह गर्मी तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर भी आती है। सबसे प्रमुख हीट स्ट्रोक (लू लगना) होता है।

Heat Stroke: हीट स्ट्रोक क्या है ?
हीट स्ट्रोक अत्यधिक तापमान में लंबे समय तक रहने के कारण होता है और इसे तत्काल इलाज की जरूरत होती है। आमतौर पर डिहाइड्रेशन तथा शरीर के तापमान नियंत्रण प्रणाली की विफलता के कारण होता है। शरीर का तापमान अगर १०४ फारेनहाइट से अधिक होता है तो इसे हीट स्ट्रोक का लक्षण माना जाता है। हीट स्ट्रोक के कारण सेन्ट्रल नर्व सिस्टम में भी काम्पलिकेशन देखने को मिलता है।
हीट स्ट्रोक आमतौर पर तब होता है जब शरीर में पानी और नमक की मात्रा कम हो जाती है और पसीना आना भी बंद हो जाता है। सामान्य लक्षणों में घबराहट, बेचैनी, मतली, दौरे, बेहोशी जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं कभी-कभी इंसान कोमा में भी चला जाता है। बेहोशी को पहला लक्षण माना जा सकता है।

प्रमुख लक्षण

  • चक्कर आना और सर घूमना
  • गर्मी के बावजूद पसीना न आना
  • लाल, गर्म और सूखी स्कीन
  • मांसपेशियों में कमजोरी लगना या ऐंठन का अनुभव
  • मतली और उल्टी
  • धड़कन का तेज होना
  • साँस लेने में तकलीफ
  • घबराहट और बेचैनी
  • दौरे आना
  • बेहोशी की हालत
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क्या करें

  • हीट स्ट्रोक से प्रभावित व्यक्ति को तुरंत अस्पताल ले जाएं।
  • जब तक चिकित्सा सहायता नहीं मिलता तब तक ठंडी जगह में रखें।
  • पैरों को ऊपर करके रखें।
  • यदि इंसान होश है तो ढ़ेर सारा पानी पीलायें या रिहाइड्रेशन पेय दिए जा सकते हैं।
  • यदि बेहोश हो, तो उन्हें IV fluids शुरू करने के लिए निकटतम डॉक्टर के पास ले जाएं
  • धीरे-धीरे शरीर को बर्फ के पैक से ठंडा करें, ठंडा स्प्रे करें या ठंडे पानी से स्पंज करें

बचाव के उपाय

  • एक्सरसाइज करने से पहले और बाद पानी जरूर पीयें। फल के जूस और पानी मिलाकर कम से कम 8 ग्लास तरल पदार्थ प्रतिदिन लें।
  • ठंडे पानी से स्नान करें और शावर लें तथा पर्याप्त मात्रा में आराम करें।
  • हल्का व तरल पौष्टिक भोजन खाएं। खाने में ककड़ी, तरबूज, नारियल, बेल को शामिल करें। पानी भी खूब पीयें।
  • हल्के रंग के और ढीले सूती कपड़े पहनें।
  • ज्यादा देर तक बाहर रहने पर शरीर और कपड़ों पर पानी का छिडकाव करें।
  • छाता या टोपी का उपयोग करके दोपहर 11 बजे से 3 बजे के बीच धूप में बाहर निकलने से बचें।
  • शराब, मीठे पेय और बहुत अधिक कैफीन लेने से बचें – ये डिहाइड्रेशन का कारण बनते हैं।
  • दिन में जब अत्यधिक गर्मी का समय हो तो किसी भी प्रकार की एक्सरसाइज से बचें।
  • बिना वेंटिलेशन वाली गाड़ी में बच्चों या बड़े बुजुर्गों को कभी न छोड़ें।
  • बच्चों और वृद्ध डिहाइड्रेशन के शिकार न हो इसका ध्यान रखें।
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लू से बचने के आयुर्वेदिक उपाय

आयुर्वेद के अनुसार गर्मियों के दिनों में ठंडी तासीर वाली चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए। ठंडी तासीर वाली चीजों को खाने से शरीर में ठंडक बनी रहती है और लू नहीं लगती है।

1 – सेब का सिरका : लू लगने पर शरीर में मिनरल और इलेक्ट्रोलाइट की कमी हो जाती है खासतौर पर पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे ज़रुरी मिनरल की मात्रा काफी कम हो जाती है। ऐसे में सेब के सिरके का सेवन करने से ये खोए हुए मिनरल वापस मिल जाते हैं और शरीर में इनका संतुलन बना रहता है।दो चम्मच सेब के सिरके को एक गिलास पानी में मिलाकर दिन में दो बार इसका सेवन करें।
2 – चंदनासव : यह चंदन और कई तरह की जड़ी बूटियों से निर्मित एक आयुर्वेदिक पेय औषधि (आसव) है। आयुर्वेद के अनुसार चंदनासव में शीतल गुण होता है। ठंडी तासीर होने के कारण जब शरीर में गर्मी या जलन काफी बढ़ जाती है तो इसका इस्तेमाल करना बहुत फायदेमंद रहता है। लू लगने पर इसका सेवन करने से जल्दी आराम मिलता है।तीन से चार चम्मच चंदनासव और समान मात्रा में पानी मिलाकर दिन में दो बार खाना खाने के बाद इसका सेवन करें।
3 – बेल का शरबत : गर्मियों में बेल का शरबत अमृत के समान होता है। बेल में विटामिन सी और फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसके सेवन से शरीर में ठंडक बनी रहती है और लू से बचाव होता है। बेल का शरबत पाचन तंत्र को भी दुरुस्त रखता है।रोजाना दिन में दो-तीन बार इस जूस का सेवन खाना खाने से पहले करें।
4 – गिलोय का जूस : गिलोय में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी मदद करती है। आयुर्वेद के अनुसार गिलोय वात, पित्त और कफ शामक माना जाता है। यह लू में होने वाले तेज बुखार को जल्दी ठीक करती है और शरीर के तापमान को और बढ़ने से रोकती है।दो से तीन चम्मच गिलोय रस में समान मात्रा में पानी मिलाकर रोजाना सुबह नाश्ते से पहले इसका सेवन करें।
5 – उशीरासव : उशीरासव (खस) एक आयुर्वेदिक पेय औषधि है। यह पित्तशामक है और लू लगने पर यह शरीर में होने वाली गर्मी और जलन को शांत करने में मदद करती है। इसके अलावा पित्त संबंधी सभी रोगों में आप उशीरासव का इस्तेमाल कर सकते हैं।तीन से चार चम्मच उशीरासव और समान मात्रा में पानी मिलाकर दिन में दो बार खाना खाने के बाद इसका सेवन करें।

  • इस समय आम का पना पुदीना के साथ लेने से लाभप्रद रहता हैं।
  • गर्मियों के मौसम में आप लू से बचने के सभी तरीके अपनाएं। बेवजह बाहर धूप में ना निकलें और अगर बाहर
  • निकलना ज़रुरी है तो धूप से बचाव के लिए छाते का प्रयोग ज़रुर करें।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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