भारत का दूसरा सबसे बड़ा जगन्नाथ मंदिर, ऊंचाई 85 फीट, दो साल में बनकर हुआ तैयार

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भारत का दूसरा सबसे बड़ा जगन्नाथ मंदिर, ऊंचाई 85 फीट, दो साल में बनकर हुआ तैयार

डिब्रूगढ़: असम में स्थित भगवान जगन्नाथ का विशाल मंदिर, पुरी के जगन्नाथ मंदिर की नकल करते हुए निर्मित किया गया है, जो अब भारत का दूसरा सबसे बड़ा जगन्नाथ मंदिर बन गया है।

पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर भारतीय हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। देशभर के भक्त हर साल इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए आते हैं। हालांकि, कई भक्तों के लिए पुरी तक पहुंचना संभव नहीं हो पाता। ऐसे में, असम के डिब्रूगढ़ में स्थित एक नया जगन्नाथ मंदिर भक्तों के लिए एक अद्वितीय विकल्प के रूप में सामने आया है।

मंदिर की भव्यता और निर्माण

यह मंदिर डिब्रूगढ़ के बाहरी इलाके खानिकर में स्थित है और इसकी ऊंचाई 85 फीट है। इसका निर्माण पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तर्ज पर किया गया है, और यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा जगन्नाथ मंदिर माना जाता है। मंदिर का उद्घाटन 6 दिसंबर 2014 को असम के पूर्व राज्यपाल दिवंगत जानकी बल्लभ पटनायक के द्वारा किया गया था।

मंदिर की स्थापना की प्रेरणा

दिवंगत जानकी बल्लभ पटनायक एक आध्यात्मिक व्यक्ति थे और भगवान जगन्नाथ के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा थी। वह पुरी के जगन्नाथ मंदिर के नियमित श्रद्धालु थे। एक बार, डिब्रूगढ़ की अपनी यात्रा के दौरान, पटनायक ने लाहोवाल क्षेत्र में एक छोटे आकार के जगन्नाथ मंदिर का दर्शन किया। वहां के लोगों में भगवान जगन्नाथ के प्रति भक्ति को देख उन्होंने इस शहर के लिए एक भव्य मंदिर बनाने का संकल्प लिया।

उन्होंने इस पहल के लिए डिब्रूगढ़ के सांसद, राज्य के मंत्रियों और विधायकों से परामर्श लिया और इसके निर्माण का निर्णय लिया। इसके लिए जालान टी एस्टेट की ओर से पांच बीघा जमीन दान में दी गई और श्री श्री जगन्नाथ सांस्कृतिक ट्रस्ट का गठन किया गया।

दो साल में हुआ मंदिर का निर्माण

मंदिर का निर्माण कार्य 2012 में शुरू हुआ था और इसे दो साल के अंदर पूरा किया गया। इस निर्माण में ओडिशा और असम के 100 से अधिक कारीगरों ने दिन-रात मेहनत की। पुरी के जगन्नाथ मंदिर के डिजाइन को ध्यान में रखते हुए इस मंदिर का निर्माण किया गया है।

मंदिर की विशेषताएँ

इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्राजी की भव्य मूर्तियाँ स्थापित हैं। मंदिर के आंगन में श्रद्धालु अपनी भक्ति भाव से पूजा अर्चना करते हैं और इस स्थल को महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थान मानते हैं। साथ ही, मंदिर के परिसर में विश्राम के लिए भी जगहें उपलब्ध हैं ताकि श्रद्धालु अपनी यात्रा के दौरान आराम कर सकें।

भगवान जगन्नाथ के प्रति श्रद्धा का प्रतीक

यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह असम में भगवान जगन्नाथ के प्रति लोगों की गहरी श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक भी है। भक्त अब इस मंदिर में भगवान के दर्शन करने के लिए आते हैं, और यह स्थल न केवल असम बल्कि आसपास के राज्यों के श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र स्थल बन गया है।

मंदिर की भव्यता और सांस्कृतिक अहमियत इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी बना रही है, जहां श्रद्धालु और पर्यटक दोनों ही आकर धार्मिक गतिविधियों का हिस्सा बन सकते हैं।

नए साल में बढ़ी श्रद्धालुओं की संख्या

नए साल के दौरान इस मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि देखी गई। भक्त यहां आकर भगवान जगन्नाथ के दर्शन करते हैं और नए साल का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह मंदिर अब डिब्रूगढ़ और आस-पास के क्षेत्रों में सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक आकर्षणों में से एक बन चुका है।

 

 

 

 

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