आज के तनावपूर्ण समय में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं, और इसके परिणामस्वरूप बहुत से लोग आत्महत्या के विचारों का सामना कर रहे हैं। मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने के लिए दवाइयां और थेरपी तो होती ही हैं, लेकिन एक और प्रभावी इलाज है जिसे मेडिकल साइंस में काफी मान्यता प्राप्त है। यह इलाज है ईसीटी (ECT) यानी इलेक्ट्रोकन्वलसिव थेरेपी। इस चिकित्सा पद्धति को लेकर कई भ्रांतियां हैं, लेकिन यह मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए बेहद प्रभावी और सुरक्षित इलाज साबित हो रही है। जानिए क्यों ईसीटी एक संजीवनी बूटी की तरह काम करती है और कैसे यह आत्महत्या के विचारों को दूर कर सकती है।
ईसीटी (ECT) क्या है?
ईसीटी एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जिसमें हल्की विद्युत धारा का उपयोग कर मरीज के मस्तिष्क में नियंत्रित दौरा (seizure) उत्पन्न किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य मस्तिष्क में रासायनिक संतुलन को बहाल करना है। मस्तिष्क में पाए जाने वाले रसायन जैसे सेरोटोनिन, डोपामाइन और नॉरएपिनेफ्रिन मानसिक स्वास्थ्य और मूड को नियंत्रित करते हैं, और इनका संतुलन बनाए रखना आवश्यक होता है।
कैसे करती है ईसीटी मदद?
ईसीटी एक प्रभावी उपाय है, जो मानसिक स्थिति को जल्दी और प्रभावी तरीके से सुधारता है। इस पद्धति में मस्तिष्क के रासायनिक स्तरों को सही किया जाता है, जिससे अवसाद, मानसिक तनाव और आत्महत्या के विचारों से जूझ रहे मरीजों में सुधार दिखने लगता है। ईसीटी की प्रक्रिया बहुत तेज़ असर दिखाती है और इसके परिणाम जल्दी सामने आते हैं, जो मरीज के जीवन को बचाने में मदद कर सकते हैं।
ईसीटी का प्रभावी असर
मेडिकल साइंस में किए गए शोध और कई मामलों ने यह साबित किया है कि ईसीटी का इस्तेमाल गंभीर अवसाद (Severe Depression) और आत्महत्या के विचारों वाले मरीजों में तेजी से सुधार लाता है। सामान्य दवाइयों से कई हफ्ते लग जाते हैं, लेकिन ईसीटी के कुछ सत्रों में ही मरीज के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार देखा जा सकता है। यह थेरपी न्यूरोप्लास्टिसिटी को बढ़ावा देती है, जिससे मस्तिष्क नए तंत्रिका कनेक्शन बनाने में सक्षम होता है।
ईसीटी की प्रक्रिया
ईसीटी का पालन करते समय सबसे पहले मरीज को general anesthesia और muscle relaxant दिए जाते हैं ताकि मरीज पूरी तरह से बेहोश हो जाए और उसे दर्द का अनुभव न हो। इसके बाद, सिर पर लगे इलेक्ट्रोड के माध्यम से हल्की विद्युत धारा भेजी जाती है, जिससे मस्तिष्क में नियंत्रित दौरा उत्पन्न होता है। यह प्रक्रिया केवल 10 मिनट में पूरी हो जाती है और मरीज जल्द ही सामान्य स्थिति में लौट आता है।
किन मानसिक स्थितियों में किया जाता है ईसीटी का उपयोग?
- गंभीर अवसाद: जब मरीज आत्महत्या के विचारों का सामना कर रहा हो या स्थिति अत्यधिक खराब हो।
- कैटाटोनिया: जब मरीज पूरी तरह निष्क्रिय हो जाता है और वह बोलने, खाने या हिलने-डुलने में असमर्थ हो जाता है।
- बाइपोलर डिसऑर्डर: जब मरीज अत्यधिक उत्तेजना या आक्रामकता का अनुभव करता है।
- सिज़ोफ्रेनिया: जब मरीज आक्रामक व्यवहार कर रहा हो और दवाइयां असर नहीं कर रही हों।
ईसीटी से जुड़े मिथक और तथ्यों के जवाब
- मिथक 1: ईसीटी दर्दनाक और असुरक्षित है
सच: यह एक बड़ी गलतफहमी है। ईसीटी के दौरान मरीज को एनेस्थीसिया और मसल रिलैक्सेंट दिए जाते हैं, जिससे उसे दर्द का एहसास नहीं होता और यह पूरी तरह से सुरक्षित प्रक्रिया है। - मिथक 2: ईसीटी से मेमोरी लॉस हो जाता है
सच: हालांकि कुछ मरीजों को short-term memory loss हो सकता है, जो कुछ दिनों में ठीक हो जाता है, लेकिन लंबी अवधि की याददाश्त की हानि के मामले बहुत ही कम होते हैं। नई तकनीकों के साथ इस जोखिम को और भी कम किया गया है। - मिथक 3: ईसीटी का उपयोग सिर्फ आखिरी विकल्प के रूप में होता है
सच: ईसीटी का उपयोग आपातकालीन स्थिति में प्राथमिक उपचार के रूप में किया जा सकता है, खासकर जब दवाइयां असर नहीं करतीं और मरीज आत्महत्या के विचारों से जूझ रहा हो। - मिथक 4: ईसीटी पुरानी और अप्रचलित पद्धति है
सच: यह भी गलत है। नई तकनीकों के साथ ईसीटी अब अधिक प्रभावी और सुरक्षित बन चुकी है। यह एक वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित और नियमित चिकित्सा प्रक्रिया है।
ईसीटी मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने का एक प्रभावी, सुरक्षित और तेज़ तरीका है, खासकर उन लोगों के लिए जो आत्महत्या के विचारों से जूझ रहे हैं। यह चिकित्सा पद्धति मेडिकल साइंस में सबसे सुरक्षित इलाज मानी जाती है, जो जीवन रक्षक साबित हो सकती है। यदि आप या आपके किसी जानने वाले को गंभीर मानसिक समस्या का सामना करना पड़ रहा हो, तो ईसीटी को एक महत्वपूर्ण उपचार विकल्प के रूप में विचार करें।