सरोगेसी एक ऐसी तकनीक है जिसमें किसी अन्य महिला की कोख को किराए पर लेकर बच्चे को जन्म दिया जाता है। इस तकनीक का इस्तेमाल वे दंपती करते हैं जो किसी मेडिकल कारण से बच्चे को जन्म नहीं दे सकते हैं। हाल ही में इससे जुड़े नियमों में बदलाव हुआ है। आइए जानते हैं, क्या होती है सरोगेसी और क्या कहते हैं इससे जुड़े नए नियम।
क्या है सरोगेसी?
सरोगेसी एक ऐसी तकनीक है, जिसमें किसी अन्य महिला की कोख को किराए पर लेकर सरोगेसी करवाने वाले दंपती अपने बच्चे को जन्म देते हैं। इस तकनीक की मदद वे दंपती लेते हैं , जो किसी मेडिकल कारण से कंसीव करने में असमर्थ होते हैं। इसमें सरोगेट और सरोगेसी करवाने वाले कपल के बीच एक कानूनी समझौता है, जिसके तहत इस बच्चे के जन्म के बाद, कानूनी रूप से उसके माता-पिता सरोगेसी करवाने वाला दंपती ही होगा और बच्चे पर सिर्फ उनका अधिकार होगा।
सरोगेसी में सरोगेट महिला अपने या फिर डोनर के अंडाणु के जरिए गर्भधारण करती है और उस बच्चे के जन्म तक, अपने गर्भ में उसका पालन-पोषण करती है। बच्चे के जन्म के बाद उसका उस बच्चे पर कोई कानूनी अधिकार नहीं रहता।
दो प्रकार की होती है सरोगेसी…
सरोगेसी दो प्रकार की होती हैं। पहला पारंपरिक सरोगेस और दूसरा जेस्टेशनल सरोगेसी।
पारंपरिक सरोगेसी:
- सरोगेट महिला के अंडाणु का इस्तेमाल.
- सरोगेट महिला ही बच्चे की बायोलॉजिकल मां.
- बच्चे के पिता के सपर्म की मदद से फर्टिलाइजेशन.
- बच्चे के सभी कानूनी हक सरोगेसी करवाने वाले दंपती के पास.
जेस्टेशनल सरोगेसी:
- माता-पिता के शुक्राणु और अंडाणु का आपस में फर्टिलाइजेशन.
- सरोगेट महिला का बच्चे से कोई बायोलॉजिक संबंध नहीं.
- आईवीएफ (IVF) की मदद से अंडे और सपर्म को फर्टिलाइज.
- बच्चे के सभी कानूनी हक सरोगेसी करवाने वाले दंपती के पास.
पहले सरोगेसी के क्या नियम थे?
- सरोगेसी करवाने वाले कपल के पास अंडाणु और शुक्राणु दोनों होना आवश्यक.
- डोनर के गेमेट्स के इस्तेमाल पर प्रतिबंध.
- विधवा या तलाकशुदा व्यक्ति सरोगेसी के जरिए बच्चे को जन्म नहीं दे सकते.
क्या है नया कानून?
- सरोगेसी करवाने वाला कपल, किसी डोनर के शुक्राणु या अंडाणु का इस्तेमाल कर, बच्चे को जन्म दे सकते हैं.
- मेडिकल बोर्ड से अनुमति आवश्यक.
- तलाकशुदा या विधवा महिला को अपने अंडाणु का ही इस्तेमाल करना होगा, वे स्पर्म किसी डोनर से ले सकती हैं.
व्यावसायिक सरोगेसी है प्रतिबंधित…
- सस्ते में सरोगेसी होने की वजह से भारत में सरोगेसी का कारोबार काफी अधिक बढ़ गया था.
- दिसंबर 2022 में भारत में व्यावसायिक सरोगेसी को प्रतिबंधित कर दिया गया.
नए कानून के तहत कौन होगा पात्र?
- विवाहित जोड़े जिनके पास बच्चे को जन्म देने के लिए स्वयं के अंडाणु या शुक्राणु नहीं हैं.
- विवाहित जोड़े जिनके पास बच्चे को जन्म देने के लिए स्वयं के अंडाणु या शुक्राणु नहीं हैं, लेकिन वे डोनर के अंडाणु या शुक्राणु का उपयोग करने के लिए तैयार हैं.