Advertisement

Advertisements

हार्ट अटैक के बाद डॉक्टर क्यों करते हैं एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी और बाईपास सर्जरी का जिक्र? जानें तीनों में अंतर

Manasvi Chaudhary
6 Min Read

जब किसी व्यक्ति को हृदय संबंधी समस्या होती है या हार्ट अटैक आता है, तो अस्पताल में डॉक्टर अक्सर तीन महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं का उल्लेख करते हैं: एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी और बाईपास सर्जरी। ये तीनों ही चिकित्सा शब्दावली आम लोगों के लिए भ्रमित करने वाली हो सकती हैं। इसलिए, यह जानना आवश्यक है कि ये प्रक्रियाएं क्या हैं और इनकी आवश्यकता कब पड़ती है, साथ ही इनमें क्या अंतर है।

एंजियोग्राफी: ब्लॉकेज का पता लगाने की प्रक्रिया

डॉक्टर हृदय की गंभीर बीमारियों का निदान करने के लिए एंजियोग्राफी करते हैं। इस प्रक्रिया की सलाह तब दी जाती है जब हृदय की धमनियों और नसों में ब्लॉकेज की आशंका होती है। यदि किसी व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ हो और कई दिनों से छाती में दर्द बना रहे, तो पहले ईसीजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) टेस्ट किया जाता है। यदि ईसीजी में कोई असामान्यता पाई जाती है, तो मरीज की एंजियोग्राफी की जाती है। इस प्रक्रिया के माध्यम से हृदय में ब्लॉकेज की सटीक स्थिति और उसकी गंभीरता का पता लगाया जा सकता है।

एंजियोग्राफी वास्तव में कोई इलाज नहीं है, बल्कि यह एक इमेजिंग प्रक्रिया है जिसमें डाई (एक विशेष प्रकार का रंग) का उपयोग किया जाता है। इस डाई को नसों में इंजेक्ट किया जाता है, जिससे एक्स-रे में नसें स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं। यदि हृदय की नसों में गंभीर ब्लॉकेज पाया जाता है, तो डॉक्टर एंजियोप्लास्टी कराने की सलाह दे सकते हैं।

See also  कार का एवरेज बढ़ा देगी आपकी ये आदत, आज से ही अपना लें, होगी बचत ही बचत

एंजियोप्लास्टी: ब्लॉकेज हटाने की सर्जरी

दिल्ली के राजीव गांधी अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अजीत जैन बताते हैं कि एंजियोप्लास्टी एक प्रकार की सर्जरी है जिसका उपयोग हृदय की नसों से ब्लॉकेज को हटाने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में एक छोटे गुब्बारे जैसे उपकरण का उपयोग किया जाता है। एक पतली ट्यूब (कैथेटर) को आमतौर पर कलाई या जांघ के माध्यम से शरीर की नसों में डाला जाता है। कैथेटर के सिरे पर एक छोटा गुब्बारा लगा होता है, जिसे ब्लॉकेज की जगह पर पहुंचाया जाता है और फिर फुलाया जाता है। गुब्बारा फूलने से हृदय की नसों में जमा ब्लॉकेज हट जाता है।

अक्सर, इस प्रक्रिया में गुब्बारे के साथ एक स्टेंट (एक छोटी धातु की जाली) भी लगाई जाती है। स्टेंट ब्लॉकेज को हटाने के बाद उस जगह को खुला रखने में मदद करता है। किसी व्यक्ति में ब्लॉकेज की संख्या के आधार पर एक से अधिक स्टेंट भी लगाए जा सकते हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हर मामले में ब्लॉकेज को खत्म करने के लिए एंजियोप्लास्टी उपयुक्त नहीं होती है। कुछ रोगियों को डॉक्टर बाईपास सर्जरी कराने की सलाह देते हैं।

See also  फांसी का प्रावधान, सत्ता बचाने का खेल

बाईपास सर्जरी: रक्त प्रवाह के लिए नया रास्ता

अपोलो अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ. चिन्मय गुप्ता बताते हैं कि बाईपास सर्जरी तब की जाती है जब डॉक्टरों को लगता है कि मरीज में स्टेंट नहीं डाला जा सकता है या यदि एक से अधिक नसों में गंभीर ब्लॉकेज है। यह निर्णय व्यक्ति की उम्र और समग्र स्वास्थ्य स्थिति पर भी निर्भर करता है। आमतौर पर, भविष्य में हार्ट अटैक के खतरे को कम करने के लिए बाईपास सर्जरी का सहारा लिया जाता है।

इस सर्जरी में सबसे पहले ग्राफ्टिंग की जाती है। सर्जन शरीर के किसी अन्य स्वस्थ हिस्से से एक नस (ग्राफ्ट) लेता है और इसे ब्लॉक हुई नस के चारों ओर जोड़ता है। यह एक नया रास्ता बनाता है जिससे रक्त हृदय तक आसानी से पहुंच सके। यह सर्जरी आमतौर पर हार्ट-लंग मशीन की मदद से की जाती है, जिससे मरीज को कोई जोखिम न हो। बाईपास सर्जरी के बाद हृदय तक रक्त की आपूर्ति में काफी सुधार होता है।

कितने प्रतिशत ब्लॉकेज पर क्या कराएं?

डॉ. चिन्मय गुप्ता स्पष्ट करते हैं कि हृदय ब्लॉकेज के मरीज का इलाज मुख्य रूप से तीन तरीकों से किया जाता है: दवा, एंजियोप्लास्टी या बाईपास सर्जरी। यह ब्लॉकेज की गंभीरता पर निर्भर करता है।

  • 20-30 प्रतिशत ब्लॉकेज: यदि ब्लॉकेज इतना कम है और मुख्य धमनी में नहीं है, तो आमतौर पर दवाओं से इलाज किया जा सकता है।
  • 40-50 प्रतिशत से अधिक ब्लॉकेज (दो जगह से अधिक नहीं): इस स्थिति में स्टेंट डालकर एंजियोप्लास्टी की जा सकती है।
  • 70-80 प्रतिशत से अधिक ब्लॉकेज (सभी नसें ब्लॉक): ऐसी स्थिति में बाईपास सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
See also  अगर आपके बाल टूट राज्य हैं तो अपनाएं ये नुस्खा, बालों को लंबे और घने करने का उपाय

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये सिर्फ सामान्य दिशानिर्देश हैं। प्रत्येक मरीज की स्थिति अद्वितीय होती है, और उपचार का निर्णय मरीज की उम्र, स्वास्थ्य इतिहास और ब्लॉकेज की विशिष्टताओं को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों की टीम द्वारा लिया जाता है। इसलिए, यदि आपको हृदय संबंधी कोई समस्या है, तो हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह पर ही इलाज कराएं।

 

Advertisements

See also  रूसी हमलों से ऊब गई यूक्रेन की जनता, अब एडल्‍ट क्‍लब में जुट रही भीड़, लोग लड़कियों पर बहा रहे पैसा
Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement