नेपाल बॉर्डर पर ‘छांगुर बाबा’ का ‘जिहादी’ नेटवर्क! ATS की पूछताछ में 10 करोड़ खर्च करने की साजिश का खुलासा

Laxman Sharma
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बलरामपुर, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्ता) की गिरफ्त में आए छांगुर बाबा को लेकर हर दिन चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, छांगुर बाबा नेपाल सीमा से सटे गांवों में एक बड़ा इस्लामिक मूवमेंट फैलाने और धर्मांतरण के अड्डे खोलने की गहरी साजिश रच रहा था। इसके लिए उसने 46 गांवों के युवाओं को निशाना बनाया था और एक पूरी टीम भी खड़ी कर ली थी।

कट्टरता और जिहाद की तरफ युवाओं को धकेलने की साजिश

जांच एजेंसियों के अनुसार, छांगुर बाबा का मुख्य मकसद सीमावर्ती युवाओं को कट्टर सोच और जिहाद की तरफ झुकाने का था। इस नापाक इरादे के लिए वह जलसों में तकरीरें करता था और परचे बांटकर उनकी मानसिकता समझने की कोशिश करता था। जिन युवाओं को वह अपने जाल में फंसाना चाहता था, उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए पैसों का लालच भी दे रहा था।

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सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि छांगुर ने इस इस्लामिक मूवमेंट को फैलाने के लिए लगभग 10 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बना रखी थी। उसके पास विदेशों से लगातार पैसे आने लगे थे और वह नेपाल में भी अपनी पैठ बनाने की कोशिश में जुटा था। साल 2020 के बाद वह आर्थिक रूप से बेहद मजबूत हो गया। वर्ष 2015 तक जो छांगुर पुरानी बाइक से अंगूठियां और नग बेचता था, वह अब लग्जरी गाड़ियों में घूमने लगा था, और उसके करीबियों की संपत्तियां भी तेजी से बढ़ीं।

सरकारी जमीनों पर कब्जा और बेनामी संपत्ति का खेल

एटीएस की जांच में सामने आया है कि छांगुर बाबा ने सरकारी जमीनों पर कब्जा करने का खेल भी शुरू कर दिया था। उसकी नजर उतरौला क्षेत्र में तालाबों, चरागाहों और खलिहान की जमीनों पर थी। चौंकाने वाली बात यह है कि उसने तहसील कर्मियों की मिलीभगत से उतरौला के एक तालाब की जमीन अपने नाम करा ली थी और बाद में उसे नीतू रोहरा के नाम एक करोड़ रुपये में बेच दिया गया। नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी ने इस तालाब की जमीन पाटने की रिपोर्ट भी प्रशासन को भेजी थी। उतरौला में छांगुर बाबा ने दो जगहों पर अवैध कब्जे किए थे, जिनमें से एक कोठी प्रशासन ने गिरा दी है, जबकि दूसरी जगह को लेकर जांच जारी है।

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नेटवर्क कमजोर पड़ा, कई और आरोपी

छांगुर बाबा के इस पूरे नेटवर्क में 18 अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया गया है। अगस्त 2024 में इसके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी, लेकिन करीब आठ महीने तक जांच ही चलती रही। अप्रैल 2025 में इसके बेटे और सहयोगी नवीन रोहरा की गिरफ्तारी के बाद छांगुर का नेटवर्क कमजोर पड़ने लगा और उसके करीबी उससे दूरी बनाने लगे।

फिलहाल छांगुर एटीएस की रिमांड कस्टडी में है, जहां उससे गहन पूछताछ जारी है। रिमांड की दो दिन की अवधि अभी बची है, और एटीएस का मानना है कि पूछताछ में इससे और भी बड़े और सनसनीखेज खुलासे हो सकते हैं। यह जांच राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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