राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने पार्टी के ही नेता मणिशंकर अय्यर के बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। गहलोत ने मणिशंकर अय्यर के पाकिस्तान को लेकर दिए बयान को सिरफिरा करार दिया और कहा कि ऐसे बयानों से पार्टी की छवि को नुकसान पहुँचता है। इसके अलावा, गहलोत ने अय्यर के राजीव गांधी को लेकर दिए गए बयान को भी निंदनीय और उनके हताशा की पराकाष्ठा बताया।
मणिशंकर अय्यर का बयान
मणिशंकर अय्यर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने पर सवाल उठाते हुए नजर आ रहे हैं। अय्यर ने कहा, “जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने, तो मैंने और कई अन्य लोगों ने इस पर सवाल उठाया था, क्योंकि वह एक एयरलाइन पायलट थे, यूनिवर्सिटी में दो बार फेल हो चुके थे, उन्हें प्रधानमंत्री कैसे बनाया जा सकता था।”
उन्होंने आगे कहा, “मैंने उनके साथ कैम्ब्रिज में पढ़ाई की थी, लेकिन वह वहां फेल हो गए। कैम्ब्रिज में फर्स्ट डिवीजन आना फेल होने की तुलना में कहीं आसान है, क्योंकि यूनिवर्सिटी अपनी छवि को बरकरार रखने के लिए यह सुनिश्चित करती है कि कम से कम सभी पास हो जाएं। इसके बाद उन्होंने इंपीरियल कॉलेज लंदन में दाखिला लिया, लेकिन वहां भी वह फेल हो गए। यह मुझे आश्चर्यचकित करता है कि ऐसा व्यक्ति प्रधानमंत्री कैसे बन सकता है।”
गहलोत की प्रतिक्रिया
गहलोत ने मणिशंकर अय्यर के इस बयान पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि यह बयान मणिशंकर अय्यर की हताशा और फ्रस्ट्रेशन का परिणाम है। गहलोत ने यह भी कहा कि इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना बयान कांग्रेस पार्टी की विचारधारा के खिलाफ हैं, और इससे पार्टी की छवि को गंभीर नुकसान हो सकता है।
गहलोत ने यह भी कहा कि मणिशंकर अय्यर ने जो पाकिस्तान को लेकर बयान दिया है, वह भी बिल्कुल अस्वीकार्य है। उन्होंने इसे सिरफिरा बयान करार देते हुए कहा कि कोई भी जिम्मेदार नेता इस प्रकार का बयान नहीं दे सकता।
कांग्रेस पार्टी की छवि पर असर
मणिशंकर अय्यर का यह बयान कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। इस तरह के बयानों से पार्टी के भीतर की स्थिति और उसकी छवि पर असर पड़ सकता है, खासकर जब पार्टी खुद को एकजुट और विकासात्मक नजरिया दिखाने की कोशिश कर रही हो।
गहलोत का यह बयान कांग्रेस के अंदर की नीतियों और विचारधाराओं के साथ-साथ पार्टी के नेताओं के बीच की विवादों को भी उजागर करता है। अय्यर के बयान के बाद पार्टी के भीतर से विभिन्न प्रतिक्रिया आ रही हैं और यह सवाल उठाया जा रहा है कि पार्टी के भीतर व्यक्तिगत बयानबाजी कब खत्म होगी।
मणिशंकर अय्यर का बयान न केवल कांग्रेस पार्टी के लिए, बल्कि पूरे राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है। अशोक गहलोत का बयान इस बात को स्पष्ट करता है कि कांग्रेस पार्टी अपनी छवि को बनाए रखने के लिए ऐसे विवादों से बचना चाहती है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि मणिशंकर अय्यर इस मुद्दे पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और कांग्रेस पार्टी इसे कैसे संभालती है।