जम्मू-कश्मीर में हाल के महीनों में सेना और सुरक्षा बलों पर हुए लगातार आतंकी हमलों ने एक बार फिर से क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि इन हमलों के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है और इसका मकसद क्षेत्र में अशांति फैलाना और भारत को बदनाम करना है।
आतंकवादियों की नई रणनीति
आतंकवादियों ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए अब सेना को विशेष रूप से निशाना बनाना शुरू कर दिया है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि इसका कारण आतंकवाद के स्थानीय नेटवर्क का कमजोर होना है। आतंकवादी अब अफगान तालिबान द्वारा प्रशिक्षित आतंकवादियों को जम्मू और कश्मीर में भेज रहे हैं। इन आतंकवादियों को गुरिल्ला युद्ध की विशेष ट्रेनिंग दी गई है और वे बेहद खतरनाक हैं।
पाकिस्तान का मकसद
पाकिस्तान का मकसद जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाकर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को बढ़ाना है। इसके साथ ही, वह भारत और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की नजर में भारत की छवि खराब करना चाहता है। पाकिस्तान यह भी चाहता है कि भारत की सुरक्षा एजेंसियां अपने संसाधनों को जम्मू-कश्मीर में ही लगा दें ताकि वह अन्य क्षेत्रों में अपनी गतिविधियां बढ़ा सके।
सुरक्षा एजेंसियों की चुनौतियां
सुरक्षा एजेंसियों के सामने आतंकवादियों की इस नई रणनीति से निपटने की बड़ी चुनौती है। आतंकवादी लगातार नए तरीके अपना रहे हैं और सुरक्षा बलों को भी अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा।
जम्मू-कश्मीर में बढ़ते आतंकी हमले एक गंभीर चुनौती हैं। भारत को इन हमलों का मुकाबला करने के लिए अपनी सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना होगा। इसके साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थन करने से रोकने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे।