भारत अपने अगले मंगल मिशन में एक हेलीकॉप्टर शामिल करने की योजना बना रहा है, जो नासा के इनजेनिटी ड्रोन के नक्शेकदम पर चलेगा। यदि यह मिशन सफल होता है, तो यह इसरो के लिए एक और ऐतिहासिक उपलब्धि होगी।
मंगल पर हेलीकॉप्टर भेजने का मिशन क्या है? लाल ग्रह पर भारत का पहला मिशन – मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम), जिसे “मंगलयान” भी कहा जाता है, वो नवंबर 2013 में लॉन्च किया गया था और सितंबर 2014 में मंगलयान, मंगल ग्रह की कक्षा में कामयाबी के साथ प्रवेश कर गया। करीब आठ सालों तक लगातार रिसर्च करने के बाद भारतीय मंगलयान साल 2022 में नष्ट हो गया। लेकिन, इसरो का अगल मिशन मंगल काफी मुश्किल और महत्वाकांक्षी है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला के वैज्ञानिक जयदेव प्रदीप ने हाल ही में एक वेबिनार के दौरान कहा, कि मंगल ग्रह पर लैंडिंग मिशन के लिए नियोजित हेलीकॉप्टर, ग्रह के हवाई रिसर्च के लिए पेलोड का एक सूट ले जाएगा।
मिशन की कठिनाई
यह मिशन कई चुनौतियों से भरा होगा। मंगल ग्रह का वातावरण पृथ्वी की तुलना में बहुत पतला है, जिससे उड़ान भरना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, मंगल ग्रह पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी का लगभग 38% है, जिसके लिए हेलीकॉप्टर को विशेष रूप से डिजाइन करना होगा।
मिशन का लक्ष्य
इस मिशन का लक्ष्य मंगल ग्रह के वायुमंडल और सतह का अध्ययन करना है। हेलीकॉप्टर विभिन्न उपकरणों से लैस होगा जो तापमान, आर्द्रता, दबाव, हवा की गति, विद्युत क्षेत्र और धूल कणों को मापेंगे। यह डेटा मंगल ग्रह के मौसम और जलवायु को बेहतर ढंग से समझने में वैज्ञानिकों की मदद करेगा।
नासा का इंजीन्युटी ड्रोन मंगल ग्रह पर सफलतापूर्वक उड़ान भरने वाला पहला ड्रोन था। इसने 72 उड़ानें भरीं और 18 किलोमीटर की दूरी तय की। भारत का हेलीकॉप्टर इंजीन्युटी से अधिक उन्नत होगा और यह 100 मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भरने में सक्षम होगा।
अन्य देशों के मिशन
चीन भी मंगल ग्रह पर एक ड्रोन हेलीकॉप्टर भेजने की योजना बना रहा है। चीन का मिशन न केवल हेलीकॉप्टर को मंगल ग्रह पर उतारने पर केंद्रित होगा, बल्कि मंगल ग्रह से नमूनों को पृथ्वी पर वापस लाने पर भी केंद्रित होगा।
भारत का मंगल हेलीकॉप्टर मिशन एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जो मंगल ग्रह के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यदि यह मिशन सफल होता है, तो यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।