नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार द्वारा गुरुवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को आमंत्रित न किए जाने पर विवाद खड़ा हो गया है। ओवैसी ने इस मामले में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू से फोन पर बात की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी इस बैठक में सभी दलों को आमंत्रित करने की अपील की है।
ओवैसी ने आरोप लगाया कि उन्हें इस बैठक में नहीं बुलाया गया है, जबकि सरकार का कहना है कि वे केवल 5 या 10 सांसदों वाली पार्टियों को ही आमंत्रित कर रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि कम सांसदों वाली पार्टियों को क्यों नहीं बुलाया जा रहा है।
ओवैसी ने क्या कहा?
ओवैसी ने कहा, “यह भाजपा या किसी अन्य पार्टी की आंतरिक बैठक नहीं है। यह आतंकवाद और आतंकवादियों को पनाह देने वाले देशों के खिलाफ एक मजबूत और एकजुट संदेश भेजने के लिए एक सर्वदलीय बैठक है। क्या पीएम मोदी सभी दलों की चिंताओं को सुनने के लिए एक अतिरिक्त घंटा नहीं दे सकते? आपकी अपनी पार्टी के पास बहुमत नहीं है। चाहे वह 1 सांसद वाली पार्टी हो या 100, वे दोनों भारतीयों द्वारा चुने गए हैं और इस तरह के महत्वपूर्ण मामले पर उनकी बात सुनी जानी चाहिए।”
हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने कहा कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, यह एक राष्ट्रीय मुद्दा है। सभी की बात सुनी जानी चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया कि इसे एक वास्तविक सर्वदलीय बैठक बनाएं, संसद में सांसद वाली हर पार्टी को आमंत्रित किया जाना चाहिए।
क्यों होती है सर्वदलीय बैठक?
सर्वदलीय बैठक बुलाने का निर्णय बुधवार को लिया गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह ने इसे लेकर विभिन्न दलों से संपर्क किया। राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर असर डालने वाली किसी भी घटना के बाद सर्वदलीय बैठक बुलाने की परंपरा रही है, जैसा कि 2019 में पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद या 2020 में भारत-चीन गतिरोध के दौरान देखा गया था। इससे संकट के समय में राष्ट्रीय एकता की तस्वीर पेश होती है और विपक्षी नेताओं को सरकार तक अपने विचार पहुंचाने एवं आधिकारिक स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने का अवसर मिलता है।
भारत का कड़ा संदेश
भारत ने पहलगाम आतंकवादी हमले के मद्देनजर बुधवार को पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया। उसने उसके साथ राजनयिक संबंधों में कटौती करने, 1960 की सिंधु जल संधि स्थगित करने और अटारी चौकी को बंद किए जाने समेत कई फैसले किए। पहलगाम में हमले में 28 लोगों की मौत के एक दिन बाद प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक हुई, जिसमें इस कायरतापूर्ण हमले के प्रति भारत के जवाबी कदमों को अंतिम रूप दिया गया और सुरक्षाबलों को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया गया।