देशभर में लागू हुआ प्रॉपर्टी का नया कानून! सुप्रीम कोर्ट बोला: जिसके पास रजिस्ट्री, वही जमीन का मालिक

Gaurangini Chaudhary
Gaurangini Chaudhary - Content writer
6 Min Read

Property Ownership Document: भारत में संपत्ति से जुड़े विवाद हमेशा से एक बड़ी समस्या रहे हैं। अक्सर लोग बिजली के बिल, पानी की रसीद या म्यूनिसिपल टैक्स के कागजात दिखाकर खुद को किसी प्रॉपर्टी का मालिक बताते थे। लेकिन, अब सुप्रीम कोर्ट ने इस भ्रम को हमेशा के लिए खत्म कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि अब केवल एक ही दस्तावेज़ आपको ज़मीन या मकान का कानूनी मालिक साबित कर सकता है, और वह है रजिस्टर्ड सेल डीड, जिसे आमतौर पर रजिस्ट्री कहा जाता है।

बिजली-पानी का बिल नहीं, रजिस्ट्री ही है असली ‘मालिकाना हक’ का सबूत

हाल ही में एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि म्यूटेशन (नामांतरण), बिजली-पानी के बिल, या प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें केवल सहायक दस्तावेज़ हैं। ये किसी भी सूरत में मालिकाना हक का ठोस सबूत नहीं माने जा सकते। कोर्ट ने अपने फैसले में साफ शब्दों में कहा, “जब तक आपके पास वैध और रजिस्टर्ड सेल डीड नहीं है, तब तक आप उस प्रॉपर्टी के मालिक नहीं माने जाएंगे।”

See also  क्या माता-पिता अपनी औलाद को प्रॉपर्टी से बेदखल कर सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जानें आपके अधिकार!

Also Read: बैंक लॉकर धारक हो जाएं सावधान! RBI के नए नियम से हजारों लॉकर हो सकते हैं सील, जल्द करें यह काम

क्या है रजिस्टर्ड सेल डीड, और क्यों है यह इतना महत्वपूर्ण?

रजिस्टर्ड सेल डीड एक कानूनी दस्तावेज़ है जो प्रॉपर्टी के खरीदार और बेचने वाले के बीच हुए सौदे को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज करता है। इसे सब-रजिस्ट्रार के कार्यालय में विधिवत रजिस्टर्ड करवाना अनिवार्य होता है। इस दस्तावेज़ में प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी दर्ज होती है – जैसे खरीदी गई कीमत, तारीख, गवाहों के नाम, और दोनों पक्षों की सहमति। यही दस्तावेज़ अब प्रॉपर्टी पर आपके मालिकाना हक का एकमात्र और सबसे मजबूत सबूत माना जाएगा।

ये दस्तावेज़ अब मालिकाना हक के लिए मान्य नहीं होंगे!

कई लोग अब तक मानते थे कि नगरपालिका रिकॉर्ड, बिजली का बिल या सिर्फ कब्ज़ा ही मालिकाना हक़ का प्रमाण होते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद इनकी कानूनी अहमियत घट गई है:

  • म्यूटेशन रिकॉर्ड: यह केवल रिकॉर्ड में नाम बदलने की प्रक्रिया है, मालिकाना हक़ का प्रमाण नहीं।
  • बिजली/पानी का बिल: यह सिर्फ यह दर्शाता है कि आप उस संपत्ति का उपयोग कर रहे हैं।
  • प्रॉपर्टी टैक्स रसीद: यह सिर्फ बताता है कि आपने टैक्स भरा है, मालिक होने का नहीं।
  • कब्जा (Possession): केवल कब्जा तब तक कानूनी रूप से मान्य नहीं, जब तक उसके पीछे एक वैध रजिस्ट्री न हो।
  • अन-रजिस्टर्ड सेल एग्रीमेंट: यदि आपका सेल एग्रीमेंट रजिस्टर्ड नहीं है, तो वह भी अमान्य माना जाएगा।
See also  Ram Rajya Takes Flight! SpiceJet Connects Ayodhya to 8 Cities, Pilgrimage Made Easy

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से क्या बदल जाएगा?

यह ऐतिहासिक फैसला प्रॉपर्टी बाजार और कानूनी प्रक्रियाओं में बड़े बदलाव लाएगा:

  • झूठे दावों पर रोक: अब फर्जी दस्तावेज़ों या मौखिक दावों पर मालिकाना हक़ जताना मुश्किल होगा।
  • विवादों में कमी: कोर्ट में चल रहे कई पुराने प्रॉपर्टी विवादों का निपटारा आसान होगा।
  • कब्जेदार सावधान: बिना रजिस्ट्री के प्रॉपर्टी पर कब्ज़ा करने वालों को अब कानूनी संरक्षण नहीं मिलेगा, और उन पर अवैध कब्जे का केस भी चल सकता है।
  • सहायक दस्तावेज़ों की भूमिका: बिजली बिल या टैक्स रसीदें अब केवल सहायक दस्तावेज़ के रूप में काम करेंगी।

Also Read: सावधान! पत्नी के नाम खरीदी प्रॉपर्टी पर पति का हक खत्म? कोर्ट के फैसले से भूचाल

अगर रजिस्ट्री नहीं है, तो क्या करें?

यदि आपके पास अपनी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री नहीं है और आप पुराने कागजात या कब्जे के आधार पर रह रहे हैं, तो तुरंत सक्रिय हो जाएं:

  • जल्द से जल्द रजिस्ट्री करवाएं: यह आपकी संपत्ति को सुरक्षित करने का सबसे महत्वपूर्ण कदम है।
  • सबूत जुटाएं: यदि आपने कभी सेल एग्रीमेंट किया है, तो भुगतान की रसीदें, पुराने कागजात और गवाहों के साक्ष्य जुटाएं।
  • कानूनी सलाह: किसी अनुभवी वकील से कानूनी सलाह ज़रूर लें ताकि भविष्य में कोई परेशानी न हो। बिना रजिस्ट्री के, आपकी बात शायद ही कोई सुनेगा।
See also  Hyena Outside, Elephant Within

सुप्रीम कोर्ट की दो टूक टिप्पणी: ‘मालिक वही, जिसके पास रजिस्ट्री!’

कोर्ट ने अपने बयान में साफ कहा कि, “जब तक किसी के पास रजिस्टर्ड टाइटल डॉक्यूमेंट यानी रजिस्ट्री नहीं है, तब तक वह खुद को उस संपत्ति का मालिक नहीं कह सकता। म्यूटेशन केवल एक रिकॉर्ड है, यह किसी को कानूनी रूप से मालिक नहीं बनाता।”

Also Read: दामाद का ‘ससुराल’ पर दावा! कोर्ट के एक फैसले से सब हैरान!

यह फैसला उन सभी लोगों के लिए एक वेक-अप कॉल है जो अब भी भ्रम में हैं। अगर आपने अभी तक अपनी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री नहीं करवाई है, तो इसे तुरंत करवाएं। यह न केवल आपकी संपत्ति को कानूनी सुरक्षा प्रदान करेगा, बल्कि भविष्य में किसी भी तरह की कानूनी उलझन से भी बचाएगा।

(अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है और इसे कानूनी सलाह नहीं माना जाना चाहिए। प्रॉपर्टी से संबंधित किसी भी कानूनी समस्या के लिए, कृपया एक योग्य अधिवक्ता से परामर्श करें।)

 

See also  कोलकाता कांड: आरजी कर मेडिकल कॉलेज में गंभीर आरोप, पूर्व प्रिंसिपल पर लावारिस लाशों के सौदे का आरोप
Share This Article
Content writer
Follow:
Passionate about storytelling and journalism. I provide well-researched, insightful and engaging content here.
2 Comments

Advertisement