नई दिल्ली: संसद से पारित वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच राजनीतिक विवाद गहराता जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने शनिवार (19 अप्रैल) को सुप्रीम कोर्ट पर तीखा हमला बोलते हुए मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना को देश में हो रहे “गृहयुद्धों” का जिम्मेदार ठहराया है।
सुप्रीम कोर्ट पर कानून बनाने का आरोप
निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट धार्मिक युद्धों को भड़काने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए। दुबे ने मीडिया से बातचीत में कहा, “सुप्रीम कोर्ट का एक ही उद्देश्य है: ‘मुझे चेहरा दिखाओ, मैं तुम्हें कानून दिखाऊंगा।’ सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमाओं से परे जा रहा है। अगर हर चीज के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ता है तो संसद और राज्य विधानसभा को बंद कर देना चाहिए।”
सीजेआई संजीव खन्ना को ठहराया ‘गृहयुद्धों’ का जिम्मेदार
भाजपा सांसद दुबे ने सीधे तौर पर सीजेआई संजीव खन्ना पर निशाना साधते हुए कहा, “भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना इस देश में हो रहे सभी गृहयुद्धों के लिए जिम्मेदार हैं।”
राम मंदिर, कृष्ण जन्मभूमि और ज्ञानवापी मामलों का जिक्र
उन्होंने राम मंदिर, कृष्ण जन्मभूमि और ज्ञानवापी मामलों का जिक्र करते हुए कहा, “जब राम मंदिर या कृष्ण जन्मभूमि या ज्ञानवापी की बात आती है, तो आप (SC) कहते हैं ‘हमें कागज दिखाओ’। मुगलों के आने के बाद जो मस्जिद बनी है उनके लिए कह रहे हो कागज कहां से दिखाओगे।”
अनुच्छेद 377 और समलैंगिकता का मुद्दा उठाया
दुबे ने अनुच्छेद 377 और समलैंगिकता के मुद्दे पर भी सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 377 था, जिसमें समलैंगिकता को बहुत बड़ा अपराध माना गया था। ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि इस दुनिया में केवल दो लिंग हैं, या तो पुरुष या महिला। चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम हो, बौद्ध हो, जैन हो या सिख हो, सभी मानते हैं कि समलैंगिकता एक अपराध है। एक सुबह, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले को खत्म करते हैं।”
‘देश को अराजकता की ओर ले जाना चाहते हैं’ का आरोप
दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर देश को अराजकता की ओर ले जाने का आरोप लगाते हुए कहा, “आप नियुक्ति प्राधिकारी को कैसे निर्देश दे सकते हैं? राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं। संसद इस देश का कानून बनाती है। आप उस संसद को निर्देश देंगे? आपने नया कानून कैसे बना दिया? किस कानून में लिखा है कि राष्ट्रपति को तीन महीने के भीतर फैसला लेना है? इसका मतलब है कि आप इस देश को अराजकता की ओर ले जाना चाहते हैं। जब संसद बैठेगी तो इस पर विस्तृत चर्चा होगी।”
सोशल मीडिया पर भी सुप्रीम कोर्ट की आलोचना
इससे पहले, निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करते हुए कहा, “अगर सुप्रीम कोर्ट कानून बनाता है तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए।”
निशिकांत दुबे के इन बयानों ने राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है। सुप्रीम कोर्ट और संसद के बीच अधिकारों को लेकर यह विवाद आने वाले दिनों में और भी गरमा सकता है।