गांधीनगर। दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे संत आसाराम बापू को गांधीनगर की एक अदालत ने महिला शिष्या से दुष्कर्म के एक मामले में दोषी क़रार दिया है और मंगलवार को इस मामले में सज़ा सुनाई जाएगी। सत्र न्यायलय के जज डी के सोनी ने सोमवार को अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था। हालांकि सबूतों के अभाव में आसाराम की पत्नी समेत छह अन्य अभियुक्तों को अदालत ने बरी कर दिया है।
स्पेशल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर आर सी कोडेकर के अनुसार संत आसाराम को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (सी) की धारा 377 और अन्य प्रावधानों के तहत पीड़िता के अवैध हिरासत के लिए दोषी ठहराया गया है। वहीं आसाराम के वकील सी बी गुप्ता ने कहा कि इसे 2001 की घटना कहा जा रहा है लेकिन इसकी शिकायत 2013 में की गई। सज़ा के बाद हम लोग विचार-विमर्श करके हाईकोर्ट में अपील दाख़िल करेंगे।
-ये है मामला
सूरत की एक महिला ने 2013 में आसाराम बापू और सात अन्य लोगों के ख़िलाफ़ बलात्कार और अवैध रूप से बंधक बनाने का मामला दर्ज कराया था। पुलिस ने इस मामले में जुलाई 2014 में चार्जशीट दायर की थी। अहमदाबाद के चांदखेड़ा पुलिस थाने में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार आसाराम ने 2001 से 2006 के बीच पीड़ित महिला से अहमदाबाद शहर के बाहरी इलाके में स्थित आश्रम में कई बार दुष्कर्म किया था। 25 अप्रैल 2018 को जोधपुर अदालत ने ख़ुद को धर्मगुरू बताने वाले आसाराम बापू को एक नाबालिग से बलात्कार के मामले में दोषी क़रार दिया है और आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी। सजा सुनाए जाने से पांच साल पहले से आसाराम जेल की सलाखों में बंद हैं।अभियुक्तों में से एक की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई थी।