आगरा में हत्या और आयुध अधिनियम के आरोपियों को पुलिस की लापरवाही पर बरी किया गया। अदालत ने विवेचना में गंभीर कमियों और साक्ष्य की कमी को गंभीर माना।
आगरा। अपर जिला जज 6, नीरज कुमार महाजन ने हत्या और आयुध अधिनियम के आरोपियों को पुलिस की लापरवाही पर बरी कर दिया। इस मामले में आरोपित राम सेवक और रनवीर को कोर्ट ने उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के लिए दोषी नहीं ठहराया। अदालत ने कहा कि विवेचक द्वारा की गई विवेचना अत्यंत स्तरहीन और आपत्तिजनक थी, जिस कारण आरोपियों को बरी कर दिया गया।
मामला 22 फरवरी 2010 को हुई हत्या से जुड़ा था, जब न्यू नवल सिक्योरिटी एजेंसी में कार्यरत दोनों भाई असलम अली और अकरम अली की गेंला ना रोड पर हत्या कर दी गई थी। वादी मुकदमा असरत अली ने इस मामले में आरोप लगाया था कि दोनों भाई प्रतिदिन की तरह अपनी ड्यूटी पर जा रहे थे, तभी मोटरसाइकिल सवार दो अज्ञात व्यक्तियों ने गोली चला कर उनकी हत्या कर दी।
पुलिस की लापरवाही पर उठाए सवाल
अदालत ने इस संवेदनशील मामले की जांच में पुलिस की लापरवाही को गंभीर माना। विवेचक ने न तो आरोपियों की शिनाख्त कराई, न ही घटना में प्रयुक्त मोटरसाइकिल को बरामद किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अलग-अलग हथियारों से हत्या के बावजूद पुलिस ने आरोपी रनवीर से केवल उसकी लाइसेंसी डबल बैरल बंदूक बरामद की। इसके अतिरिक्त, मृतक असलम के शरीर से बरामद गोली से जुड़ी किसी भी जांच रिपोर्ट की भी पुष्टि नहीं की गई।
अदालत ने कहा कि ऐसी गम्भीर लापरवाही और साक्ष्य की कमी के कारण आरोपियों को बरी किया गया। कोर्ट ने इस मामले की प्रति जिलाधिकारी आगरा और पुलिस आयुक्त को भेजने का आदेश भी दिया है, ताकि इस मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर ध्यान दिया जा सके और भविष्य में इस तरह की लापरवाही न हो।
विवेचना में गंभीर कमियाँ
अदालत ने यह भी कहा कि विवेचक ने इस मामले में गंभीर अनियमितताएँ बरतीं और साक्ष्य जुटाने में बहुत बड़ी लापरवाही की। इसके परिणामस्वरूप आरोपी राम सेवक और रनवीर को हत्या और आयुध अधिनियम के तहत आरोपों से मुक्त कर दिया गया।
आरोपियों की ओर से पैरवी
इस मामले में आरोपियों की पैरवी अधिवक्ता दीवान सिंह वर्मा और राज कुमार वर्मा ने की। उनका कहना था कि पुलिस ने सही तरीके से जांच नहीं की और मामले में कोई ठोस सबूत नहीं पेश किए।
इस मामले में पुलिस की गंभीर लापरवाही और जांच में खामियों के कारण आरोपियों को बरी किया गया। अदालत ने यह आदेश पारित करते हुए जिलाधिकारी और पुलिस आयुक्त को चेतावनी दी है कि वे इस मामले की समीक्षा करें और यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में किसी भी मामले में इस तरह की लापरवाही न हो।