आगरा: थाना ताजगंज क्षेत्र के एक मामले में अदालत ने गैर इरादतन हत्या और अन्य आरोपों से घिरे दंपत्ति को बरी कर दिया। अदालत ने आरोपी दंपत्ति के खिलाफ लगे आरोपों को बिना ठोस साक्ष्य के आधार पर खारिज कर दिया, जिसके बाद एडीजे नितिन कुमार ठाकुर ने उन्हें बरी करने का आदेश दिया। यह मामला वर्ष 2010 का है, जब वादी मुकदमा डाल चन्द ने अपने बेटे पूरन सिंह के लापता होने के बाद दंपत्ति पर गंभीर आरोप लगाए थे।
मामला क्या था?
यह पूरा मामला 15 मार्च 2010 से शुरू हुआ, जब वादी के बेटे पूरन सिंह को आरोपी दंपत्ति के द्वारा उनके चेन बनाने के कारखाने में काम पर लगाया गया। पूरन सिंह को कार्यस्थल से बुलाए जाने के बाद वह अपने घर से कुछ दिनों तक गायब हो गया। वादी ने जब अपने बेटे को ढूंढने का प्रयास किया, तो आरोपी दंपत्ति ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया। इसके बाद वादी ने अपनी शिकायत में बताया कि उनके बेटे ने उन्हें बताया था कि वह अपने मालिक से अपनी तनख्वाह के पैसे लेकर प्लॉट खरीदने जा रहे थे।
15 जून 2010 को जब वादी ने अपने बेटे की तलाश की, तो उन्हें पूरन सिंह का कोई सुराग नहीं मिला। बाद में वादी को बेटे की लाश मिल गई, जिसके बाद उसने आरोपी दंपत्ति पर हत्या का आरोप लगाते हुए थाना ताजगंज में मुकदमा दर्ज कराया।
अदालत का निर्णय
अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य न मिलने के कारण उन्हें दोषी नहीं ठहराया। दंपत्ति के अधिवक्ता नरेंद्र सिंह परिहार ने अदालत में यह तर्क प्रस्तुत किया कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप बिना किसी प्रमाण के थे। इसके आधार पर अदालत ने आरोपी दंपत्ति को गैर इरादतन हत्या और अन्य आरोपों से बरी कर दिया।
इस फैसले से वादी और उनके परिवार में निराशा का माहौल था, क्योंकि उन्होंने लंबे समय से आरोपी दंपत्ति को सजा दिलाने की उम्मीद जताई थी। लेकिन साक्ष्य के अभाव में अदालत ने सही न्यायिक प्रक्रिया का पालन करते हुए दंपत्ति को बरी कर दिया।
इस मामले में पुलिस ने आरोपी दंपत्ति के खिलाफ जांच की थी, लेकिन पर्याप्त साक्ष्य जुटाने में विफल रही। अदालत के फैसले के बाद आरोपी दंपत्ति के खिलाफ कोई भी नई कार्रवाई नहीं की जाएगी, और वे अब निर्दोष माने गए हैं।