भरतपुर, राजस्थान: शहरीकरण और बेतहाशा आवासीय विकास का पक्षियों की प्रजातियों पर गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर और पार्षद दीपक मुदगल ने केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के पास के क्षेत्रों में इन प्रभावों को करीब से देखा है, जिस पर उन्होंने गंभीर चिंता व्यक्त की है। उनके अनुसार, भरतपुर विकास प्राधिकरण की आवासीय योजनाओं, सड़कों के विस्तार, बिजली के तारों के जाल और कंक्रीट की घेराबंदी ने पक्षियों के प्राकृतिक आवास को बड़े पैमाने पर नष्ट कर दिया है।
जैव विविधता का खजाना खतरे में: भारतीय सारस हो रहे विस्थापित
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, जिसे विश्व स्तर पर जैव विविधता का एक अनमोल खजाना माना जाता है, अब इस विकास की आंधी में खतरे का सामना कर रहा है। दीपक मुदगल बताते हैं कि भारतीय सारस जैसे पक्षी, जो कभी केवलादेव के जलभराव वाले और दलदली क्षेत्रों में बड़े उत्साह से कलरव करते थे, अब भोजन और पानी की तलाश में भटकने को मजबूर हैं। अपने प्राकृतिक आवासों के उजड़ने के कारण उन्हें दूर के क्षेत्रों में जाने पर मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे उनकी संख्या और प्रजनन पर सीधा असर पड़ रहा है।
तत्काल संरक्षण की आवश्यकता: भविष्य की पीढ़ियों के लिए चेतावनी
मुदगल ने जोर देकर कहा कि इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए सरकार, स्थानीय समुदायों और विभिन्न संरक्षण संगठनों को मिलकर तत्काल कदम उठाने होंगे। उन्होंने पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने और पक्षियों के आवासों के संरक्षण के लिए प्रभावी नीतियां बनाने पर बल दिया।
दीपक मुदगल की चेतावनी है कि यदि समय रहते प्रभावी प्रयास नहीं किए गए, तो भरतपुर का यह अनूठा ‘पक्षी स्वर्ग’ केवल तस्वीरों और इतिहास की किताबों में सिमट कर रह जाएगा। इससे हमारी भावी पीढ़ियां इस अमूल्य प्राकृतिक धरोहर से वंचित रह जाएंगी, जो जैव विविधता और पारिस्थितिकी संतुलन के लिए एक बड़ा नुकसान होगा। यह समय है जब विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में गंभीरता से विचार किया जाए।