नई दिल्ली । दिल्ली यूनिवर्सिटी की पहचान देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों के तौर पर दर्ज है। इस यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने के लिए देशभर से छात्र दिल्ली पहुंचते हैं। हालांकि, डीयू में सिर्फ अंडरग्रेजुएट की 70000 सीटें हैं, पीजी की सीटें भी हजारों में है। लेकिन अप्लाई करने वाले छात्रों की संख्या लाखों में होती है। ये दिखाती है कि दिल्ली यूनीर्वसीटी को लेकर छात्रों के बीच कितना क्रेज है।
डीयू अपने क्रांतिकारी पहल के लिए भी जाना जाता है। ऐसा ही एक क्रांतिकारी कदम दिल्ली यूनिवर्सिटी ने हाल ही में उठाया है। डीयू अगले एकेडमिक ईयर से सभी ग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट प्रोग्राम में अनाथ छात्रों को अतिरिक्त कोटा के तहत दो-दो सीट उपलब्ध कराएगा। अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि इस कैटेगरी के छात्रों को फीस का भुगतान नहीं करना होगा। इस संबंध में शुक्रवार को यूनिवर्सिटी की कार्यकारी परिषद की बैठक के दौरान प्रस्ताव पारित किया गया। एक अधिकारी ने कहा, कार्यकारी परिषद ने अगले अकेडमिक ईयर से यूनिवर्सिटी में उपलब्ध कराए जाने वाले प्रत्येक अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट प्रोग्राम में अनाथ बच्चों को एडमिशन देने के संबंध में आज प्रस्ताव पारित किया।
एजेंडे की विषय वस्तु में कहा गया है, एडमिशन पाने वाले ऐसे छात्रों को हर प्रकार के शुल्क के भुगतान से छूट दी जाएगी, जिसमें हॉस्टल फीस, एग्जाम फीस और अन्य अनिवार्य फीस के भुगतान से छूट शामिल होगी। ऐसे छात्रों के प्रवेश और पढ़ाई का खर्च यूनिवर्सिटी वेलफेयर फंड या कॉलेज स्टूडेंट वेलफेयर फंड से उपलब्ध कराया जाएगा।
इस बीच काउंसिल सदस्यों ने एडहॉक टीचर्स का मुद्दा भी उठाया और टीचर्स के विस्थापन को रोकने की मांग की। परिषद सदस्य सीमा दास ने कहा, हमने टीचर्स के विस्थापन का मामला उठाया जिस पर विस्तार से चर्चा हुई। हमने मांग की कि एडहॉक टीचर्स को समायोजित किया जाए।