आगरा: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के हित में चलाए गए अभियान के तहत अब किसानों को एक गोल्डन कार्ड दिया जा रहा है, जिसमें उनकी सारी जानकारी जैसे खतौनी, आधार कार्ड, मोबाइल नंबर आदि अपलोड किए जा रहे हैं। हालांकि, इस पहल के तहत एक समस्या सामने आ रही है, जो कई किसानों के लिए परेशानी का कारण बन गई है। बहुत से किसान अपनी ज़मीनों को पिछले कुछ दशकों में बेच चुके हैं, लेकिन अब उनके खाते में वह ज़मीन अपडेट नहीं हुई है, जिससे उनका गोल्डन कार्ड बनवाने में समस्या हो रही है।
जमीन का विक्रय और उसके बाद की स्थिति
कई किसान अपनी ज़मीन को वर्षों पहले बेच चुके थे, कुछ ने तो स्टाम्प पेपर पर गवाहों के हस्ताक्षर कर जमीन बेच दी थी और अब उस जमीन पर लोग अपना घर बना कर रह रहे हैं। बावजूद इसके, यह ज़मीन अभी तक किसान के खाते से कट नहीं पाई है। ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी समस्याएं व्यापक रूप से देखने को मिल रही हैं, जहां लेखपालों ने इस तरह के मामलों की जानकारी प्रशासन को नहीं दी। इसका नतीजा यह है कि जमीन के मालिकाना हक से संबंधित सही जानकारी अब तक सिस्टम में अपडेट नहीं हो पाई है।
राजस्व के मुद्दे और खरीदारों को नुकसान
इससे प्रशासन को स्टाम्प पेपरों से राजस्व का फायदा तो हो रहा है, लेकिन जमीन के खरीदार को सही न्याय नहीं मिल पा रहा है। खासकर 1995 से पहले की गई जमीन की बिक्री के मामले में यह समस्या बहुत बड़ी है, क्योंकि इन मामलों का दाखिला और खारिज अब तक सही तरीके से नहीं किया गया है। यही कारण है कि आज भी लोग इस विसंगति से जूझ रहे हैं, और उनका ज़मीन संबंधित रिकॉर्ड सही तरीके से दर्ज नहीं हो पा रहा है।
समाजसेवी विजय सिंह लोधी ने उठाई आवाज
राष्ट्रीय दिव्यांग संघ के अध्यक्ष और समाजसेवी विजय सिंह लोधी ने प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के मंत्री महोदय से अपील की है कि सभी जिलों के जिलाधिकारियों को निर्देशित किया जाए कि वे अपने संबंधित लेखपालों को किसानों की ज़मीनों का आंकलन करने के लिए भेजें। इसके अलावा, किसी भी प्रकार से बेची गई ज़मीन का सही आंकलन कराना चाहिए और उसे खरीदारों के नाम पर दर्ज किया जाए। चाहे वह ज़मीन प्लॉट के रूप में बेची गई हो या किसी और प्रकार से।
विजय सिंह लोधी ने यह भी कहा कि अगर इस काम को जल्द से जल्द नहीं किया गया, तो इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा, खासकर उन किसानों को जिनकी ज़मीनें पहले बेच दी गई हैं और अब वे गोल्डन कार्ड बनाने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर ज़मीनों का सही आंकलन और रजिस्ट्रेशन किया जाए तो किसानों के लिए कई और सरकारी लाभ और योजनाएं सुलभ हो सकती हैं, जो उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करेंगी।