प्रभावशाली चिकित्सक और साझीदार की कथित अवैध पुलिया को बचाने के लिए विभागीय अधिकारी सक्रिय

Jagannath Prasad
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आगरा।उत्तर प्रदेश सरकार फुल एक्शन में है, खासकर सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के बावजूद आगरा में इन निर्देशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

जनपद के बिचपुरी क्षेत्र में कलवारी गांव के समीप सदरवन नाला पर एक निजी व्यावसायिक कॉलोनी स्थापित है। यह कॉलोनी क्षेत्र के एक प्रभावशाली चिकित्सक और उसके साझीदार की बताई जा रही है। साझीदार की क्षेत्र में एक क्रिकेट एकेडमी भी है।

अखबार ‘अग्र भारत’ का अभियान:
पखवाड़ा पूर्व, ‘अग्र भारत’ अखबार ने इस कॉलोनी हेतु सिंचाई विभाग की जमीन पर कथित रूप से बनाई गई अवैध पुलिया के खिलाफ अभियान छेड़ा था। समाचार प्रकाशन के बावजूद विभागीय अधिकारियों ने अवैध पुलिया का संज्ञान लेना जरूरी नहीं समझा। चिकित्सक और साझीदार के प्रभाव में विभागीय अधिकारी नतमस्तक बने रहे। पुलिया के संबंध में एनओसी के बारे में पूछने पर अधिकारियों ने हर बार टालमटोल की स्थिति बनाई रखी।

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अधिकारियों की लापरवाही:
सिंचाई विभाग के अधिकारी, अपनी ही विभाग की जमीनों पर अवैध कब्जों को लेकर कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पखवाड़ा पूर्व मामला संज्ञान में होने के बावजूद आज तक कोई सक्षम विभागीय अधिकारी मौके पर निरीक्षण करने नहीं पहुंचा है। जनपद में कई स्थानों पर विभाग की जमीनों पर दबंगों द्वारा अवैध कब्जा किया जा चुका है। शिकायतें होती रहती हैं, और अधिकारी उन्हें रद्दी की टोकरी में डालते रहते हैं।

एनओसी दिखाने के नाम पर गुमराह:

पुलिया की वैधता के बारे में अधिशासी अभियंता करनपाल सिंह और सहायक अभियंता प्रथम पंकज अग्रवाल के बयानों में शुरू से ही विरोधाभास देखने को मिला। करनपाल सिंह ने पहले कहा कि पुलिया का संज्ञान लिया जाएगा, फिर बोले कि शायद एनओसी है और अंत में बताया कि सहायक अभियंता प्रथम इसकी जानकारी देंगे। सहायक अभियंता पंकज अग्रवाल ने पहले कहा कि पुलिया की एनओसी है, और जब उनसे पूछा गया कि कब की है, तो बताया कि 2003 की है। जब यह बताया गया कि पुलिया का निर्माण तो लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व ही हुआ है, तो उन्होंने जांच की बात कही। हर बार स्पष्ट जवाब देने से कतराते रहे।

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इस मामले में विभागीय अधिकारियों का रवैया बेहद निराशाजनक रहा, जो मुख्यमंत्री के जीरो टॉलरेंस नीति के खिलाफ है। मामले की निष्पक्ष और गंभीर जांच आवश्यक है ताकि ऐसे अवैध कब्जों को रोका जा सके और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।

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