56 लाख में बिका ₹100 का भारतीय ‘हज नोट’, आखिर लोगों ने क्यों चुकाई इतनी मोटी रकम?

4 Min Read
56 लाख में बिका ₹100 का भारतीय ‘हज नोट’, आखिर लोगों ने क्यों चुकाई इतनी मोटी रकम?

हैदराबाद: लंदन में हुई एक ऐतिहासिक नीलामी ने भारतीय मुद्रा संग्रहकों और इतिहास प्रेमियों को हैरान कर दिया। इस नीलामी में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी एक 100 रुपये का नोट 56 लाख 49 हजार 650 रुपये में बिका। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इस साधारण से नोट की कीमत इतनी क्यों बढ़ी? तो जानिए, यह नोट कोई साधारण नोट नहीं था, बल्कि भारतीय इतिहास का एक दुर्लभ और ऐतिहासिक हिस्सा था।

‘हज नोट’ की दुर्लभता और महत्व

यह 100 रुपये का नोट भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 1950 के दशक में जारी किया गया था। इसे ‘हज नोट’ कहा जाता है। इन विशेष नोटों को खास तौर पर उन भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए जारी किया गया था जो हज यात्रा के लिए खाड़ी देशों की यात्रा करते थे। हज यात्रा पर जाने वाले भारतीय नागरिकों को खास तौर पर यह नोट दिया जाता था ताकि वे सोने की अवैध खरीद को रोक सकें और साथ ही मुद्रा की व्यवस्था को व्यवस्थित किया जा सके।

इन नोटों पर एक विशेष प्रीफिक्स ‘HA’ होता था, जिससे इन्हें पहचानना आसान हो जाता था। इसके अलावा, यह नोट सामान्य भारतीय नोटों से रंग में भी अलग होते थे। ये नोट विशेष रूप से उन खाड़ी देशों में मान्य थे, जहां भारतीय रुपया स्वीकार किया जाता था, जैसे कि संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन, कुवैत और ओमान। हालांकि, यह नोट भारत में मान्य नहीं थे और इसे केवल इन देशों में ही इस्तेमाल किया जा सकता था।

‘हज नोट’ का अस्तित्व और समाप्ति

1961 में कुवैत ने अपनी मुद्रा की शुरुआत की, और इसके बाद अन्य खाड़ी देशों ने भी अपनी स्वतंत्र मुद्रा जारी कर दी। इससे 1970 के दशक के अंत तक हज नोटों की श्रृंखला समाप्त हो गई। इसके बाद यह नोट धीरे-धीरे दुर्लभ होते गए और मुद्रा संग्रहकों के बीच इनकी कीमत बढ़ती गई। आज के समय में, इन दुर्लभ नोटों का मूल्य उनकी स्थिति और दुर्लभता के कारण बहुत अधिक है।

दूसरी दुर्लभ नीलामी: 10 रुपये के दो पुराने नोट

इस नीलामी में केवल हज नोट ही नहीं, बल्कि और भी पुराने और ऐतिहासिक भारतीय नोटों की नीलामी हुई। इनमें से 10 रुपये के दो दुर्लभ नोट थे, जिनकी कीमत भी काफी ऊंची रही। एक नोट 6 लाख 90 हजार रुपये में बिका, जबकि दूसरा 5 लाख 80 हजार रुपये में बिका। इन नोटों का ऐतिहासिक महत्व बहुत ज्यादा था, क्योंकि ये नोट 25 मई 1918 को जारी किए गए थे और इनका संबंध प्रथम विश्व युद्ध के आखिरी साल से था। इन नोटों का विशेष संबंध ब्रिटिश जहाज एसएस शिराला से था, जिसे 2 जुलाई 1918 को जर्मन यू-बोट ने टारपीडो से उड़ा दिया था। जहाज के मलबे और इसके ऐतिहासिक घटनाक्रम के कारण इन नोटों की कीमत और भी बढ़ गई।

मुद्रा संग्रहकों के लिए इन नोटों का महत्व

ये नोट न केवल भारतीय मुद्रा के इतिहास का हिस्सा हैं, बल्कि इनकी दुर्लभता और ऐतिहासिक महत्व के कारण इनका मूल्य लाखों रुपये तक पहुंच गया है। मुद्रा संग्रहकों के बीच ऐसे नोटों की मांग हमेशा बनी रहती है, और यही कारण है कि इनकी नीलामी में इतनी बड़ी रकम चुकाई जाती है। इन नोटों की खरीद और बिक्री एक तरह से भारतीय इतिहास और संस्कृति की सराहना करने का तरीका भी है।

Share This Article
Follow:
फैजान खान- संवाददाता दैनिक अग्र भारत समाचार । "मैं पिछले 5 वर्षों से राजनीति और समाजिक मुद्दों पर रिपोर्टिंग कर रहा हूं। इस दौरान, मैंने कई सामाजिक मुद्दों,ओर समस्याओं पर लेख लिखे हैं और लिखता आ रहा हु।
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version