श्रावस्ती में नकली नोट छापने वाला गिरोह उजागर, मदरसा संचालक और उसकी पांच बीवियों का खुलासा
श्रावस्ती, उत्तर प्रदेश | उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां एक मदरसा संचालक अपनी पांच बीवियों के साथ मिलकर नकली नोट छाप रहा था। यह गिरोह न सिर्फ जाली नोटों का उत्पादन कर रहा था, बल्कि इन्हें ग्रामीण इलाकों के बाजारों में भी खपा रहा था। पुलिस ने इस गिरोह का पर्दाफाश करते हुए मदरसा संचालक मुबारक अली और उसके सहयोगी दो अन्य व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है।
नकली नोट छापने का तरीका सीखा यूट्यूब से
मदरसों में धार्मिक शिक्षा देने के साथ-साथ गुपचुप तरीके से नकली नोट छापने की गतिविधियां चल रही थीं। गिरोह का सरगना मुबारक अली उर्फ नूरी मल्हीपुर के गंगापुर स्थित फैजुर्रनबी मदरसे का प्रबंधक है। मुबारक ने यूट्यूब से नकली नोट छापने की प्रक्रिया सीखी और अपने मदरसे में इसे शुरू कर दिया। खास बात यह है कि मदरसे में उसकी पांच बीवियां भी उसकी मदद करती थीं। वे अलग-अलग स्थानों पर जाकर नकली नोटों को बाजारों में उड़ा रही थीं।
गिरोह का पर्दाफाश, गिरफ्तारियां और बरामदगी
पुलिस को जाली नोटों की छपाई की शिकायत मिलने पर कार्रवाई शुरू की गई। बुधवार को पुलिस ने भेशरी नहरपुल से धर्मराज शुक्ला, रामसेवक और अवधेश पांडे को जाली नोट, तमंचे और कारतूस के साथ गिरफ्तार किया। पूछताछ के बाद आरोपियों ने पुलिस को गंगापुर स्थित फैजुर्रनबी मदरसे तक पहुंचाया, जहां से नकली नोट बनाने का सामान बरामद किया गया। पुलिस ने वहां से एक प्रिंटर, दो लैपटॉप, चार बोतल स्याही, 14,500 रुपये के नकली नोट, 14,500 रुपये के असली नोट, एक 315 बोर का तमंचा और पांच मोबाइल फोन बरामद किए हैं।
पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारियां
श्रावस्ती पुलिस ने एसपी घनश्याम चौरसिया के नेतृत्व में मामले की जांच शुरू कर दी है। एसपी ने बताया कि गिरोह के सरगना मुबारक अली उर्फ नूरी को गिरफ्तार किया गया है, जो गंगापुर स्थित फैजुर्रनबी मदरसा का प्रबंधक है। इसके अलावा उसकी पांच बीवियां भी गिरोह के काम में शामिल थीं और अलग-अलग स्थानों पर जाली नोट चलाने का काम करती थीं। पुलिस ने मदरसे से जमील अहमद नाम के एक व्यक्ति को भी गिरफ्तार किया है। एसपी ने यह भी बताया कि पुलिस द्वारा पूछताछ की जा रही है और संभावना है कि इस मामले में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
गिरोह के काम करने का तरीका
गिरोह ने नकली नोटों को छापने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया था। प्रिंटर और लैपटॉप की मदद से जाली नोटों को असली नोटों के जैसा बनाने की कोशिश की जा रही थी। इसके अलावा, गिरोह ने स्याही और अन्य सामग्रियों का भी इस्तेमाल किया था ताकि नकली नोटों को बाजार में आसानी से चलाया जा सके। यह गिरोह मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों में काम करता था, जहां वे अपने नोटों को छोटे-बड़े बाजारों में फैलाते थे।
पुलिस की जांच और आगे की कार्रवाई
पुलिस ने इस गिरोह के पर्दाफाश के बाद मामले की जांच तेज कर दी है। एसपी घनश्याम चौरसिया ने बताया कि इस मामले में अब तक गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पूछताछ की जा रही है और संभावना जताई जा रही है कि गिरोह के अन्य सदस्य भी पुलिस के रडार पर आ सकते हैं। पुलिस ने जाली नोटों की छपाई और वितरण में शामिल अन्य लोगों के नामों का पता लगाने के लिए जांच तेज कर दी है।