लखनऊ | उत्तर प्रदेश के संभल लोकसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जियाउर रहमान बर्क को इलाहाबाद हाईकोर्ट से एक बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने सांसद बर्क के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि एफआईआर को रद्द नहीं किया जाएगा और पुलिस जांच जारी रहेगी। हालांकि, कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि सांसद बर्क की गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगाई जाए और उन्हें पुलिस की जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश का पालन करने की हिदायत
हाई कोर्ट ने पुलिस को यह निर्देश भी दिया कि वे सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश का पालन करें, जिसमें उन धाराओं में आरोपी की गिरफ्तारी पर शर्तें निर्धारित की गई हैं जिनके तहत सांसद बर्क के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन धाराओं में बर्क के खिलाफ एफआईआर की गई है, उनमें 7 साल से कम की सजा का प्रावधान है।
सांसद बर्क को पुलिस द्वारा नोटिस जारी किया जाएगा
पुलिस अब सांसद जियाउर रहमान बर्क को नोटिस जारी कर सकती है और उन्हें पूछताछ के लिए तलब कर सकती है। बर्क को पुलिस की जांच में पूरा सहयोग देना होगा, जिससे मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से जांच हो सके। सांसद बर्क ने पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट में एफआईआर को चुनौती दी थी और इसे रद्द करने की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने नकार दिया।
क्या था मामला?
यह मामला उत्तर प्रदेश के संभल जिले के जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा से जुड़ा हुआ है। पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर रहमान बर्क और स्थानीय विधायक के बेटे सोहेल इकबाल के खिलाफ हिंसा भड़काने के आरोप में केस दर्ज किया था। आरोप है कि इस हिंसा के दौरान कुछ लोगों ने साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश की थी, जिससे हिंसा भड़क उठी थी।
अखिलेश यादव ने उठाए थे सवाल
सांसद बर्क के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मामले को लेकर सरकार पर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था, “यह घटना अत्यंत दुखद है। हमारे सांसद जियाउर रहमान बर्क उस समय संभल में मौजूद नहीं थे और फिर भी उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। वे उस समय बेंगलुरु में थे। यह पूरी तरह से एक सुनियोजित दंगा था, जिसे सरकार ने जानबूझकर करवाया है।”
अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि इस घटना को लेकर सरकार की भूमिका संदेहास्पद है और यह सब कुछ विपक्षी नेताओं के खिलाफ राजनीतिक बदले की भावना से किया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर सांसद बर्क घटनास्थल पर नहीं थे, तो फिर उनके खिलाफ एफआईआर क्यों दर्ज की गई?
कोर्ट का आदेश और पुलिस की कार्रवाई
हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब पुलिस की जांच का दायरा बढ़ेगा और सांसद बर्क से पूछताछ की जा सकती है। पुलिस ने पहले ही इस मामले में एक नोटिस जारी किया था, जिसमें सांसद से जांच में सहयोग की अपील की गई थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह आदेश समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर रहमान बर्क के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है। कोर्ट ने उनकी एफआईआर रद्द करने की मांग को खारिज कर दिया है, जिससे यह मामला और भी जटिल हो गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पुलिस जांच के दौरान क्या नई जानकारी सामने आती है और इस मामले में आगे क्या कार्रवाई की जाती है।