पिनाहट के परिषदीय विद्यालयों में घोटालों और अनियमितताओं पर डाल दिया पर्दा, दो सदस्यीय जांच कमेटी ने चार विद्यालयों के स्टाफ के खिलाफ की थी कड़ी कार्रवाई की संस्तुति

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आगरा। बेसिक शिक्षा विभाग आगरा में पूर्व में हुई अनगिनत घोटालों पर कार्रवाई आज तक सिफर है। घोटालेबाजों पर कार्रवाई करने के नाम पर विभागीय अधिकारियों के हाथ बांध जाते हैं। जिन जिम्मेदारों के कंधों पर विभाग की शुचिता और साख को कायम रखने का जिम्मा है, उन्हीं के कथित संरक्षण में विभाग का बेड़ा गर्क हो रहा है।

बताया जाता है कि जनपद के ब्लॉक पिनाहट अंतर्गत चार परिषदीय विद्यालयों में अनियमितताओं और घोटालों का गंभीर प्रकरण सामने आया है। बीएसए आगरा के निर्देश पर दो सदस्यीय जांच कमेटी के सदस्य खंड शिक्षा अधिकारी अछनेरा सौरभ आनंद एवं जिला समन्वयक एमडीएम आकर्ष अग्रवाल की रिपोर्ट को उच्चाधिकारियों ने ठंडे बस्ते में डाल दिया। जिसके बाद विद्यालय स्टाफ में मनमानी और छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले विद्यालय स्टाफ के हौसले बुलंद हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार बीएसए के निर्देश पर जांच कमेटी के दोनों सदस्यों ने विभिन्न कार्य दिवसों में पिनाहट ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय बसई गुर्जर, पूर्व माध्यमिक विद्यालय नयाबांस, पूर्व माध्यमिक विद्यालय नगला भरी एवं प्राथमिक विद्यालय पिनाहट प्रथम का औचक निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान विद्यालयों में को अनियमितताएं मिलीं, उनको देखकर दोनों अधिकारी हैरान रह गए।

छात्रों से लेकर शिक्षक स्टाफ तक दिखा नदारद, उपस्थिति पंजिकाओं में चल रहा था फर्जीवाड़ा

आपके समाचारपत्र अग्र भारत के पास मौजूद अभिलेखों के अनुसार, विभाग से मोटी पगार लेने वाले शिक्षकों को अपने संबंधित विद्यालयों से कोई सरोकार नहीं दिखा। इंचार्ज प्रधानाध्यापकों के कॉलम खाली थे। जिस विद्यालय में 125 छात्र नामांकित थे, मौके पर सिर्फ 15 मौजूद मिले। जानकी एक अन्य विद्यालय में छात्र संख्या बिल्कुल शून्य मिली। जो छात्र मौजूद मिला, उनको अपने पाठ्यक्रम का ककहरा तक मालूम नहीं था। कंपोजिट ग्रांट से विद्यालयों में विकास कार्यों का कोई अता पता नहीं था।

निलंबन से लेकर वेतन वृद्धि रोकने की हुई थी संस्तुति

खंड शिक्षा अधिकारी और जिला समन्वयक द्वारा संयुक्त रूप से बीएसए आगरा को प्रेषित अपनी जांच रिपोर्ट में अनियमितताओं के दोषी पाए गए संबंधित इंचार्ज प्रधानाध्यापक एवं सहायक अध्यापकों के खिलाफ निलंबन से लेकर वेतन वृद्धि की संस्तुति की थी। जांच कमेटी की रिपोर्ट को उच्चाधिकारियों द्वारा नजरंदाज करके दोषियों को अभयदान दे दिया गया। विभागीय अधिकारियों की इस कार्यप्रणाली से शासन की भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम को पलीता लगता दिख रहा है।

बीएसए ने प्रकरण सुनने के बाद जवाब देने से जाती कन्नी

इस मामले में जितेंद्र कुमार गोंड से वार्ता करने के दौरान पहले तो उनके द्वारा पूरा विषय सुना गया। इसके बाद उनका जवाब देने का नंबर आया तो मीटिंग में होने का हवाला देते हुए बाद में बात करने की बात करते हुए कन्नी काट ली।

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