आगरा। बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों की लापरवाही और फर्जीवाड़े थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ताजा मामला आगरा के जगनेर ब्लॉक का है, जहां एक सहायक अध्यापक विद्यालय से लगातार अनुपस्थित रहने के बावजूद वेतन हासिल कर रहा था।
शैलेंद्र कुमार सिंह नामक सहायक अध्यापक को 29 जुलाई 2016 को प्राथमिक विद्यालय में नियुक्ति मिली थी। 1 सितंबर 2016 को उन्होंने कार्यभार संभाला और 31 मार्च 2017 तक नियमित रूप से विद्यालय आते रहे। इसके बाद, शैलेंद्र कुमार सिंह विद्यालय से नदारद रहने लगे। प्रधानाध्यापिका निदा खान द्वारा बीईओ को आख्या पत्र भेजने के बाद शैलेंद्र कुमार सिंह को निलंबित कर दिया गया।
निलंबन के बाद भी विद्यालय नहीं आए शैलेंद्र
निलंबन के बावजूद शैलेंद्र कुमार सिंह विद्यालय नहीं पहुंचे। प्रधानाध्यापिका ने उच्चाधिकारियों को लिखित में घटनाक्रम से अवगत कराया। अभिलेखों के अनुसार, 31 मार्च 2017 के बाद शैलेंद्र कुमार सिंह एक भी दिन विद्यालय नहीं आए। 2021 में प्रधानाध्यापिका की गैरमौजूदगी में, उपस्थिति पंजिका में पूरे माह की उपस्थिति फर्जी तरीके से दर्ज कर दी गई। 4 जून 2022 को निलंबन अवधि में भी उन्हें विद्यालय में अटैच कर दिया गया, लेकिन वे विद्यालय नहीं आए।
बिल बाबू की मदद से जारी हुआ वेतन
सूत्रों के अनुसार, शैलेंद्र कुमार सिंह और बीआरसी पर तैनात बिल बाबू योगेंद्र कुमार की मिलीभगत से शैलेंद्र का वेतन जारी होता रहा। अग्र भारत के पास मौजूद अभिलेखों के अनुसार शैलेंद्र कुमार सिंह को जुलाई और अगस्त 2017 एवं अगस्त 2018 में वेतन जारी हुआ था, जबकि प्रधानाध्यापिका द्वारा लिखित में इस दौरान की अनुपस्थिति दर्ज कराई गई है।
नगर क्षेत्र में तैनाती, देहात क्षेत्र में काम
विवादित बिल बाबू योगेंद्र कुमार की मूल तैनाती नगर क्षेत्र में बताई जाती है, लेकिन उसकी तैनाती लगातार देहात क्षेत्र की बीआरसी पर होती रही। योगेंद्र कुमार के खिलाफ हुई शिकायत पर एक ब्लॉक के बीईओ द्वारा उसके निलंबन की संस्तुति की गई थी, लेकिन प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए उस पर पर्दा डलवा दिया गया।
जांच कमेटी गठित
बीएसए जितेंद्र गोंड ने बताया कि उक्त प्रकरण में जांच कमेटी गठित की गई है। जांच रिपोर्ट मिलने के उपरांत आवश्यक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।