आगरा। हर सर्दी में तिब्बती कपड़ा बाजार शहर के बिजलीघर और नामनेर जैसे क्षेत्रों को खरीदारी के लिए गुलजार कर देता है। लेकिन इस बार स्थानीय व्यापारियों ने इस बाजार के खिलाफ एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन का फैसला किया है। उनका आरोप है कि इस बाजार के कारण वे आर्थिक नुकसान का सामना कर रहे हैं, जिससे उनकी आजीविका प्रभावित हो रही है।
हर साल तिब्बती कपड़ा बाजार से हजारों ग्राहक खरीदारी करने आते हैं, जिससे स्थानीय व्यापारी भारी नुकसान उठाते हैं। सर्दियों के मौसम में व्यापारी अपनी पूंजी का निवेश करते हैं, लेकिन तिब्बती बाजार के चलते उन्हें निराशा हाथ लगती है। इस साल व्यापारियों ने अपनी आवाज उठाने का फैसला किया है।
जिलाधिकारी से अनुमति निरस्त करने की मांग
हाल ही में, जिलाधिकारी अरविंद मलप्पा बंगारी की अध्यक्षता में आयोजित व्यापार बंधु बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई। उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल आगरा के जिलाध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा, “तिब्बती कपड़ा बाजार की वजह से स्थानीय व्यापारी मुश्किल में हैं। 1961 से शरणार्थी के रूप में आए तिब्बती सर्दियों में कपड़ा बाजार लगाते हैं, जिससे स्थानीय व्यापारियों का धंधा प्रभावित होता है।”
व्यापारियों ने यह स्पष्ट किया है कि तिब्बती शरणार्थियों की चिंता सरकार और प्रशासन को करनी चाहिए, लेकिन स्थानीय व्यापारियों के हितों के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बैठक में व्यापार मंडल के सिकंदरा अध्यक्ष रविकांत शर्मा, अदनान कुरैशी, देवेंद्र प्रताप सिंह और मुकेश अग्रवाल जैसे प्रमुख नेता भी उपस्थित थे।
स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
आगरा जनपद के लगभग डेढ़ लाख छोटे-बड़े व्यापारी तिब्बती कपड़ा बाजार से प्रभावित हैं। व्यापारियों का कहना है कि तिब्बती लोग अपने माल को बेचकर मोटा मुनाफा कमा लेते हैं, जबकि स्थानीय व्यापारी अपनी पूंजी के साथ ठगे जाते हैं। इस स्थिति को सुधारने के लिए व्यापारियों ने प्रशासन से अनुरोध किया है कि तिब्बती कपड़ा बाजार की अनुमति को निरस्त किया जाए।
आगरा के व्यापारी अब इस मुद्दे पर सख्त नजर आ रहे हैं और वे अपनी आवाज उठाने के लिए तैयार हैं। क्या प्रशासन इस मुद्दे का समाधान करेगा, यह देखने वाली बात होगी।