आगरा। इनर रिंग रोड पर चल रहे किसानों के धरने का असर अब पूरी तरह से शहर की व्यवस्था और प्रशासन पर देखने को मिल रहा है। लगातार चल रहे इस धरने में कड़ाके की सर्दी का सितम भी किसानों पर भारी पड़ रहा है, लेकिन इसके बावजूद उनकी आवाज़ अब भी तेज़ है। किसानों ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और धरने की समाप्ति को लेकर उनका कोई विचार नहीं है। इस धरने के सातवें दिन भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भी मौके पर पहुंचकर सरकार और प्रशासन को आड़े हाथों लिया।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानू प्रताप सिंह ने किसानों के इस आंदोलन को पूरी तरह से समर्थन देते हुए कहा कि किसानों की मांगें बिल्कुल जायज हैं। उन्होंने दावा किया कि किसानों के हक के लिए वे किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं और इस मुद्दे को सड़क से लेकर संसद तक उठाएंगे। उनका यह भी कहना था कि जब तक किसानों की जमीन वापस नहीं मिल जाती, उनका आंदोलन जारी रहेगा।
इस धरने में प्रमुख नेता पवन समाधिया और प्रदेश अध्यक्ष युवा व किसान नेता सोमवीर सिंह ने भी प्रशासन और सरकार पर तीखा हमला बोला। सोमवीर सिंह ने कहा, “किसानों का धरना आज सातवें दिन भी जारी है, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर किसानों की जमीन वापसी का मुद्दा हल नहीं हुआ तो प्रशासन के खिलाफ और भी कड़े कदम उठाए जाएंगे।
धरने में भाग ले रहे नेताओं ने यह भी कहा कि अगर प्रशासन ने किसी भी हालत में धरने को हटाने की कोशिश की तो इनर रिंग रोड की दोनों लेन को बंद कर दिया जाएगा। किसानों के इस सख्त रुख से प्रशासन को चिंता सता रही है।
धरने में शामिल किसान महिला सदस्याओं ने भी प्रशासन को चेतावनी दी है। उनका कहना था कि अगर पुलिस और प्रशासन ने उन्हें जबरन धरने से हटाने की कोशिश की तो वे खुद को जान से मारने की धमकी दे रही हैं। महिलाओं का यह ऐलान प्रशासन के लिए एक गंभीर संदेश है।
भारतीय किसान यूनियन भानू ने मंच से ऐलान किया है कि किसानों की जमीन वापसी के लिए वे हर स्तर पर संघर्ष करेंगे। भानू प्रताप सिंह ने कहा कि अगर प्रशासन ने सख्ती दिखाई तो वे और उनके समर्थक मिलकर सड़क से लेकर संसद तक इस मुद्दे को उठाएंगे।
धरने में शामिल अन्य नेता जैसे अंशुमान ठाकुर, प्रदीप शर्मा, बाबा बाल योगी, वीरेंद्र सिसोदिया, अजय सिंह, कुलदीप सिंह, रामगोपाल बघेल, बंटी शर्मा, कृष्णा सिंह, प्रज्वल कुलश्रेष्ठ, पंकज उपाध्याय, प्रवीन कुमार, अभय सिंह, शैलेन्द्र गर्ग, जसवंत, कृष्णा निषाद, करन सिंह गुलाब सिंह, आशीस शर्मा, अवधेश भारद्वाज, रमाकांत तिवारी, विशाल शर्मा और बब्बू समाधिया समेत कई अन्य नेताओं ने धरने को समर्थन दिया है और कहा है कि यह आंदोलन किसानों की हक के लिए है।
किसानों की मांगें और उनके आंदोलन की अहमियत
किसान अपनी भूमि की वापसी की मांग कर रहे हैं, जो उन्हें पिछले कुछ समय में विभिन्न कारणों से मिली थी। वे चाहते हैं कि उनकी भूमि वापस की जाए ताकि वे अपने कृषि कार्य को सिरे से लगा सकें। भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने कहा है कि यह आंदोलन केवल एक राज्य विशेष का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के किसानों के हक का मामला है।
धरने में भारी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं, जिन्होंने प्रशासन और पुलिस को चेतावनी दी है कि उन्हें जबरन हटाने की कोशिश की तो वे किसी भी कीमत पर अपनी जगह से नहीं हिलेंगी। यह घटना राज्य सरकार और प्रशासन के लिए एक चुनौती बन गई है, क्योंकि इस आंदोलन ने ना केवल राज्य सरकार बल्कि केंद्र सरकार को भी परेशान कर दिया है।
किसानों का धरना जारी है और उनकी आवाज़ अब मजबूत हो चुकी है। उन्होंने प्रशासन और सरकार को अपने हक के लिए लड़ने का स्पष्ट संदेश दिया है। यह आंदोलन एक ओर जहां किसानों के अधिकारों की रक्षा की ओर अग्रसर है, वहीं दूसरी ओर यह प्रशासन और सरकार के लिए एक चुनौती बन चुका है। अब देखना यह है कि सरकार और प्रशासन इस स्थिति को किस प्रकार संभालते हैं और किसानों की लंबित मांगों को पूरा करने के लिए क्या कदम उठाते हैं।