कलयुग में सभी पापों को दग्ध करती हैं गंगा

Sumit Garg
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आगरा-गंगा दशहरा से पूर्व गुरुदीपिका योगक्षेम फाउंडेशन द्वारा तीन दिवसीय श्री गंगा कथा का आयोजन किया जा रहा है। श्रीगोपालजी धाम, दयालबाग, आगरा में आयोजित इस कथा में गंगा का माहात्म्य बताया गया। कथावाचक डॉ दीपिका उपाध्याय ने कथा प्रारंभ करते हुए अपने गुरुदेव द्विपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का उद्धरण देते हुए बताया कि दूसरे धर्म के धूर्त तथा हमारे धर्म के मूर्ख मिलकर सनातन धर्म को क्षति पहुंचा रहे हैं।
सनातन प्रतीकों पर विज्ञान की आड़ लेकर आक्षेप लगाने वालों को कथावाचक ने आड़े हाथों लिया।

‘यदि गंगा स्नान से मनुष्य तर जाते हैं तो मछली क्यों नहीं?’ तर्क की धज्जियां उड़ाते हुए उन्होंने कहा कि जब तक किसी स्थान की महिमा ज्ञात नहीं होती तब तक उसके प्रति ना तो श्रद्धा होती है ना ही उसका फल ही मिलता है। मछलियों को यदि गंगा स्नान का महत्व पता चल जाए तो मनुष्यों का नदी में उतरना असंभव हो जाएगा। मनुष्य का उद्धार इसलिए होता है कि वह गंगा के महत्व को जानता है और उसमें यथाविधि स्नान- दान आदि करता है।
इसी प्रकार गंगाजल और सामान्य जल का रासायनिक सूत्र समान बताने वालों के प्रति डॉ दीपिका ने कहा कि गंगाजल वर्षों तक बोतल में बंद रहने पर भी सड़ता नहीं है। यह उसके पवित्र, दिव्य एवं पुण्यदायी होने का प्रमाण है।
कथावाचक ने बताया कि गंगा में स्नान, दर्शन, पूजन कलयुग में मोक्ष का सबसे आसान तथा श्रेष्ठ माध्यम है। नारद पुराण का उद्धरण देते हुए उन्होंने बताया कि सतयुग में सभी तीर्थ उत्तम माने गए हैं, त्रेता में पुष्कर तीर्थ को सर्वोत्तम माना गया है, द्वापर में कुरुक्षेत्र तथा कलयुग में गंगा सर्वोत्तम कहीं गई है।
शास्त्रों के अनुसार कलयुग में सभी तीर्थ अपनी शक्ति को गंगा में छोड़ जाते हैं इसलिए भी कलयुग में गंगा का महत्व सबसे अधिक है। गंगा स्नान प्रातः काल में अत्यंत फलदाई होता है, मध्यान्ह काल में 10 गुना, सायं काल में 100 गुना तथा भगवान शिव के सानिध्य में अनंत गुना फलदाई होता है। यही कारण है कि तीर्थों में लोग सायंकाल में भी गंगा स्नान करते दिखाई दिए जाते हैं जबकि अन्य नदियों में सायंकाल स्नान करना मना होता है।
आगे गंगा किनारे बसे तीर्थों का महत्व बताते हुए कथावाचक ने बताया कि गंगाद्वार, प्रयाग, हरिद्वार स्थित कनखल, काशी, विंध्याचल संगम तथा गंगा सागर संगम पर गंगा परम पवित्र मानी गई है। इन स्थानों पर गंगा का दर्शन, पूजन, स्नान- दान आदि विशेष महत्व रखता है।
गुरुदीपिका योगक्षेम फाउंडेशन के निदेशक रवि शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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प्रभारी-दैनिक अग्रभारत समाचार पत्र (आगरा देहात)
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