प्रवीन शर्मा
–दैनिक श्रमिकों का विनियमितीकरण करने पर सभी अधिकारी गंभीर वित्तीय व प्रशासनिक अनियमितताओं प्रथम दृष्टया दोषी मिले
-मुकेश कुमार अध्यक्ष नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा जनपद मथुरा व आगरा में अभिलेखों की कूटरचना की गई
– बिना सृजित पद के दैनिक श्रमिकों के विनियमितीकरण किया गया
-पात्र दैनिक श्रमिकों के विनियमितीकरण से वंचित किया गया
आगरा।यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार ने भ्रष्टाचार पर कड़ा प़हार किया है। आगरा व मथुरा में उधान विभाग के 139 कर्मचारियों के विनियमितीकरण करने के मामले में जांच में दोषी पाये जाने पर उद्यान विभाग के पाँच वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया है।राज्यपाल की और से इस संबंध में अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने निर्देशक उधान को एक पत्र जारी किया है ।
मथुरा निवासी समाजसेवी अविनाश कुमार चतुर्वेदी द्वारा वर्ष 2020 में उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका संख्या 1294 दायर की थी। जिसमें उन्होंने उधान विभाग के अधिकारियों द्वारा आगरा और मथुरा में क
139 कर्मचारी के विनियमितीकरण में भ्रष्टाचार और धांधली के आरोप लगाया था। इसी क्रम में याचिकाकर्ता ने 15 दिसंबर 2020 को शासन में शिकायती पत्र दिया था। जिस पर उद्यान विभाग के निदेशक ने उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के वित्त नियंत्रक की अध्यक्षता में सहायक निदेशक स्तर के दो अधिकारियों की जांच कमेटी गठित कर जनपद मथुरा व आगरा में दैनिक श्रमिक के विनियमितीकरण में हुई भ्रष्टाचार की जांच करने हेतु निर्देशित किया था। वर्ष 2020 शासन की मंशा के अनुरूप जांच समिति गठित की गई। इस जांच समिति ने अपनी जांच में मुकेश कुमार तत्कालीन जिला उद्यान अधिकारी मथुरा अध्यक्ष नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा जनपद मथुरा व आगरा में वर्ष 2014-16 में अभिलेखों की कूटरचना करने, बिना सृजित पद के दैनिक श्रमिकों के विनियमितीकरण करने, पात्र दैनिक श्रमिकों का विनियमितीकरण न करने, शासनादेश का उल्लंघन का दोषी पाया । इसके अलावा दैनिक श्रमिकों का विनियमितीकरण करने राजकीय औद्योनिक क्षेत्र अगरयाला पर वर्ष 2016 में डबल ड्राइंग कर शासकीय क्षति पहुंचाने तथा अधीक्षक राजकीय उद्यान आगरा अध्यक्ष, नियुक्ति प्राधिकारी के कार्यकाल में वर्ष 2014 एवं वर्ष 2017 में दुरुभसंधि कर अनियमित रूप से दैनिक श्रमिकों का विनियमितीकरण में गंभीर वित्तीय अनियमिताओ समानुपातिक रूप से दोषी पायें गये। जिस पर शासन ने मुकेश कुमार तत्कालीन जिला उद्यान अधिकारी, के विरूद्ध उ०प्र० सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 1999 के नियम-4 के अन्तर्गत अनुशासनिक कार्यवाही करते हुए निलंबित कर दिया है ।
वही आगरा के उद्यान अधीक्षक संजीव कुमार वर्मा व जगदीश प्रसाद तत्कालीन जिला उद्यान अधिकारी मथुरा द्वारा जानबूझकर जांच समिति को दैनिक श्रमिक चिट्ठी एवं रोकड़ बही संबंधी अभिलेख अभिलेख उपलब्ध नही कराए जाने पर तथा अपेक्षित सहयोग नहीं प्रदान करने पर प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया है। इसी तरह सुरेश कुमार तत्कालीन जिला उद्यान अधिकारी मैनपुरी व
बलजीत सिंह जिला उद्यान अधिकारी फिरोजाबाद द्वारा चयन समिति के सदस्य के रूप में कर्मचारियों के विनायमतिकरण की संस्तुति की गई थी। जांच में दैनिक श्रमिकों का दूरभसंधि कर विनियमितीकरण करने हेतु संस्तुति करने में प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर उनको निलंबित कर दिया है।