आगरा पुलिस का एक अजब गजब कारनामा सामने आया है। 2016 में जिन्दगी की जंग हार चुके व्यक्ति के खिलाफ 2018 में मुकदमा दर्ज किया गया, और आश्चर्यजनक रूप से 2019 में उसी मृतक के बयान भी दर्ज कर लिए गए। इसके अलावा, मृतक द्वारा नोटिस पर साइन भी किए गए, और इसके आधार पर विवेचक ने चार्जशीट तक दाखिल कर दी। इस मामले में पुलिसकर्मियों और एक फाइनेंस कंपनी के मैनेजर के खिलाफ अब मुकदमा दर्ज किया गया है।
यह मामला तब सुर्खियों में आया जब मंगल सिंह पुत्र श्री गिर्राज सिंह, निवासी दयानंद नगर, दयालबाग ने स्थानीय न्यायालय में शिकायत की। मंगल सिंह के मुताबिक, उन्होंने श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कंपनी लिमिटेड से प्रताप सिंह नामक व्यक्ति के लिए गारंटर के तौर पर साइन किए थे। प्रताप सिंह ने कंपनी से 143381/- रुपये का फाइनेंस लिया था। लेकिन किश्तों का भुगतान न करने पर कंपनी ने 2018 में मुकदमा दर्ज कराया।
मृतक प्रताप के खिलाफ हुआ मुकदमा
मंगल सिंह के मुताबिक, प्रताप सिंह की मृत्यु 12 सितंबर 2016 को हो चुकी थी, लेकिन फाइनेंस कंपनी ने 2018 में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। इसके बाद विवेचक ने 2019 में मृतक के बयान दर्ज किए और 41 (1) ए सीआरपीसी के तहत नोटिस पर हस्ताक्षर भी कराए। आश्चर्यजनक बात यह है कि केस डायरी में 25 दिसंबर 2019 को मृतक के बयान दर्ज किए गए, जबकि प्रताप सिंह की मृत्यु तो 2016 में ही हो चुकी थी।
पुलिस की लापरवाही और घोर अनियमितता
मंगल सिंह का आरोप है कि पुलिस अधिकारियों ने जानबूझकर इस मामले में लापरवाही बरती। विवेचकों द्वारा घोर लापरवाही और निजी स्वार्थों के कारण झूठे आरोप पत्र दाखिल किए गए। उन्होंने दावा किया कि चार्जशीट में प्रताप सिंह के फर्जी हस्ताक्षर किए गए थे और इस प्रक्रिया को गलत तरीके से अंजाम दिया गया।
कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई
मंगल सिंह ने पहले स्थानीय पुलिस अधिकारियों के पास अपनी शिकायत की थी, लेकिन किसी कार्रवाई के बिना वह न्यायालय पहुंचे। न्यायालय के आदेश पर अब इस मामले में चार विवेचकों और श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कंपनी के शाखा प्रबंधक नवीन गौतम के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।