जितनी आबादी, उतने वाहन, सूखी यमुना, अनियंत्रित कंस्ट्रक्शन, बेरोक कूड़ा जलाई, हर वक्त ट्रैफिक जाम, सबको मिलाकर बनता है प्रदूषण

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जितनी आबादी, उतने वाहन, सूखी यमुना, अनियंत्रित कंस्ट्रक्शन, बेरोक कूड़ा जलाई, हर वक्त ट्रैफिक जाम, सबको मिलाकर बनता है प्रदूषण

ताज ट्रिपेजियम क्षेत्र में प्रदूषण के बढ़ते खतरे पर विशेषज्ञों की चिंता

आगरा, शहर जो अपनी ऐतिहासिक धरोहर और ताजमहल के लिए दुनियाभर में मशहूर है, आज पर्यावरणीय संकट और प्रदूषण के गंभीर मुद्दों से जूझ रहा है। ताज ट्रिपेजियम क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण ने आगरा के अस्तित्व पर सवाल उठाए हैं। इस क्षेत्र में ताजमहल सहित तीन विश्व धरोहर स्थल स्थित हैं, लेकिन इन धरोहरों की सुरक्षा और विकास की आकांक्षाओं के बीच गंभीर दुविधा उत्पन्न हो गई है।

विकास और विरासत संरक्षण की दिशा में संघर्ष

आगरा में पर्यटन उद्योग पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए ऐतिहासिक स्मारकों को संरक्षित करने का समर्थन करता है, वहीं नागरिक सुविधाओं में सुधार के लिए विकास की आवश्यकता है। लेकिन विकास के नाम पर किए जाने वाले विध्वंस कार्यों से शहर की पारिस्थितिकी और ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा में गंभीर खतरे उत्पन्न हो गए हैं। विशेष रूप से मेट्रो रेल के निर्माण के दौरान पुराने शहर में बड़े पैमाने पर विध्वंस के कारण नगर के पर्यावरणीय संकट को और भी बढ़ावा मिला है।

यमुना नदी और प्रदूषण का संकट

आगरा की सबसे बड़ी पर्यावरणीय चिंता यमुना नदी की स्थिति है, जो अत्यधिक प्रदूषित हो चुकी है और लगभग बेजान हो चुकी है। इसके अलावा, ताज ट्रिपेजियम क्षेत्र में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। जहां एक ओर निलंबित कण पदार्थ (SPM) का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है, वहीं हरित आवरण केवल 6.71% रह गया है, जो अन्य शहरों जैसे दिल्ली (35%) और चंडीगढ़ (45%) से कहीं कम है।

अतिक्रमण और कचरा प्रबंधन की समस्या

आगरा के 400 सामुदायिक तालाबों में से केवल कुछ ही बचे हैं, जो अतिक्रमण और उपेक्षा के कारण नष्ट हो गए हैं। शहर में ब्रिटिश काल की नहर प्रणाली का अधिकांश हिस्सा जीर्ण-शीर्ण हो चुका है और यमुना की सहायक नदियाँ कचरे से भरी पड़ी हैं। यह सब मिलकर प्रदूषण की गंभीर समस्या का कारण बन रहा है।

वाहनों और कंस्ट्रक्शन का योगदान

आगरा में 15 लाख से अधिक पंजीकृत वाहन हैं, जो शहर की आबादी के बराबर हैं। प्रतिदिन हज़ारों ट्रक, बसें, ट्रैक्टर और कारें आगरा में प्रवेश करती हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। पर्यटकों की भारी आवाजाही के कारण, हर साल पीक सीजन में 50,000 से ज्यादा पर्यटक आगरा पहुंचते हैं। ऐसे में वाहनों की बढ़ती संख्या और भारी ट्रैफिक जाम प्रदूषण को और बढ़ाता है।

प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में असफल प्रयास

टीटीजेड प्राधिकरण और एमसी मेहता के प्रयासों के बावजूद, आगरा में प्रदूषण नियंत्रण पर कोई ठोस सफलता नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और वर्दराजन समिति की रिपोर्ट के बावजूद, आगरा के प्रदूषण परिदृश्य में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आया है।

आगे का रास्ता

विशेषज्ञों के अनुसार, आगरा में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। शहर में वाहनों की आवाजाही पर नियंत्रण, प्रमुख सड़कों पर नियमित पानी का छिड़काव, कचरे या खेत के अवशेषों को जलाने पर रोक और इलेक्ट्रिक शवदाह गृह का उपयोग बढ़ाना जैसे उपायों को लागू करना जरूरी होगा।

आगरा में बढ़ते प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कई कारक हैं, जिनमें अनियंत्रित निर्माण, बढ़ती वाहन संख्या, कचरा प्रबंधन की समस्या और प्रशासन की असफलता प्रमुख हैं। यह प्रदूषण न केवल पर्यावरणीय संकट का कारण बन रहा है, बल्कि ताजमहल और अन्य धरोहरों की सुरक्षा के लिए भी खतरा उत्पन्न कर रहा है। अब समय आ गया है कि सभी संबंधित पक्ष मिलकर प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाएं और आगरा को पर्यावरणीय संकट से उबारें।

बृज खंडेलवाल 

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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