आगरा: राजस्थान के करौली जनपद स्थित माता केला देवी के मंदिर में चैत्र मास के दौरान आयोजित होने वाली पद यात्रा में इस बार भारी जनसैलाब उमड़ रहा है। भक्तों की श्रद्धा और आस्था की एक अद्भुत मिसाल बन चुकी इस यात्रा में हर साल लाखों लोग शामिल होते हैं। इस साल भी भक्तगण प्रसन्नता और श्रद्धा के साथ अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहे हैं और रास्ते में उन्हें जगह-जगह भंडारों और सेवाओं का सामना हो रहा है।
पद यात्रा में भक्तों की आस्था और श्रद्धा
चैत्र नवरात्रि से पूर्व, आगरा और आसपास के जिलों के भक्त हर साल केले देवी के दर्शन के लिए दो सौ किलोमीटर लंबी पद यात्रा पूरी करते हैं। इस यात्रा में बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं, पुरुष सभी समान रूप से शामिल होते हैं, और इस यात्रा का हिस्सा बनने की आकांक्षा उन्हें प्रोत्साहित करती है। दिलचस्प बात यह है कि इस यात्रा में छोटे-छोटे बच्चे भी बाकरों में बैठकर अपनी माताजी के दर्शन के लिए ले जाए जाते हैं।
माता के भक्त रास्ते में माता के भजनों पर झूमते, गाते हुए अपनी मंजिल की ओर बढ़ते हैं। उनकी श्रद्धा में इतनी गहरी आस्था होती है कि वे यात्रा में किसी प्रकार की कठिनाई या असुविधा को नजरअंदाज कर देते हैं। हर कदम पर उनकी सेवा हेतु भक्तों द्वारा भंडारे आयोजित किए जाते हैं, ताकि यात्रा में कोई भक्त भूखा न रहे।
भंडारे की सेवा में भक्तों की आत्मीयता
इस वर्ष भी, ग्राम महुअर में प्रति वर्ष की भांति विशाल पद यात्री भंडारे का आयोजन किया गया है। इस भंडारे में हर दिन नए और स्वादिष्ट व्यंजन भक्तों के लिए तैयार किए जाते हैं। सुबह के समय चाय, कचौड़ी, जलेबी और पकोड़े के साथ भक्तों का स्वागत किया जाता है, वहीं दिन के समय शुद्ध घी का हलुआ, चना, दाल, सब्जी, रोटी और पूरी जैसी स्वादिष्ट चीजें परोसी जाती हैं। साथ ही, फास्टफूड में टिकिया, भल्ले, दही बड़े, छोले भटूरे भी भक्तों को दिए जाते हैं।
भंडारे का आयोजन करने वाले सेवक यह सुनिश्चित करते हैं कि यात्रा में शामिल किसी भी भक्त को कोई असुविधा न हो। भोजन की व्यवस्था के अलावा, भक्तों के लिए दवा और चिकित्सा की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है। सेवकों का उद्देश्य है कि वे माता के भक्तों की सेवा करके पुण्य प्राप्त करें और उनका जीवन धन्य हो।
माता की भक्ति में रच बस गया है करौली
माता केला देवी का यह मंदिर हमेशा से ही आस्था और भक्ति का केंद्र रहा है। यहां आने वाले भक्तों के दिलों में सिर्फ श्रद्धा का ही नहीं, बल्कि एक सशक्त सामाजिक रिश्ते का भी निर्माण होता है। हर साल यह पद यात्रा और भंडारा न सिर्फ धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह एक सामाजिक मिलन और आपसी भाईचारे का प्रतीक भी बन चुका है।
इस यात्रा की सफलता और भक्तों का बढ़ता हुआ उत्साह यह साबित करता है कि आज भी भारतीय समाज में श्रद्धा, भक्ति और सेवा का महत्व कायम है। ओढ़ी हुई आस्था और भक्ति की यह यात्रा न सिर्फ धार्मिकता का प्रचार करती है, बल्कि यह एक प्रेरणा भी है कि सेवा करने से ही जीवन में सच्चा सुख और पुण्य प्राप्त होता है।