जाट समाज के इतिहास से खिलवाड़ नहीं होने देंगे – चाहर खाप

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राजेश चाहर

कागारौल । चाहर खाप का प्रतिनिधिमंडल आज सिकंदरा स्थित अकबर के मकबरे में चल रहे जीणोद्धार एवं संरक्षण कार्यो को लेकर अधीक्षण पुरातत्वविद आगरा परिक्षेत्र से मिलने पहुंचा l अधीक्षक की अनुपस्थिति में सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद नीरज कुमार वर्मा से प्रतिनिधिमंडल ने संरक्षण के बारे में अपना विरोध दर्ज कराया एवं प्रधानमंत्री को ज्ञापित ज्ञापन प्रेषित किया l बताते चलें कि गुरुवार दिनांक 16 मई 2024 को कुछ समाचार पत्रों के माध्यम से ज्ञात हुआ कि सिकंदरा स्थित मकबरे में उत्तरी दरवाजे एवं गलियारा के संरक्षण का कार्य चल रहा है l मीडिया में पुरातत्व विभाग के हवाले से बताया गया कि उत्तरी दरवाजा एवं गलियारा को पानी के रिसाव, पेड़ पौधों की जड़े अंदर तक पहुंचने एवं कबूतरों की वजह से आघात पहुंचा था, जो की पूर्ण रूप से भ्रामक एवं आधारहीन है। जिससे जाट समाज एवं बुद्धिजीवी वर्ग को विशेष आघात पहुंचा है । एवं ऐसा प्रतीत होता है कि पुरातत्व विभाग ऐतिहासिक तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए जाट समाज एवं ब्रज क्षेत्र के गौरवशाली इतिहास को मिटाना/छुपाना चाहता है l जबकि इतिहास में यह उल्लेखित है कि 27 फरवरी सन 1688 को ब्रज क्षेत्र के 17वीं सदी के नायक हिंदू सम्राट वीर योद्धा रामकी चाहर एवं राजाराम जाट के नेतृत्व में सिकंदरा को फतह किया था। जिसका स्पष्ट उल्लेख आगरा गजेटियर एवं वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. सुरेंद्र सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ‘सम्राट की कब्र’ में किया गया है l उक्त उत्तरी दरवाजे एवं गलियारे का विध्वंस रामकी चाहर एवं राजाराम जाट की सेना के द्वारा अपने पूर्वज वीर गोकुला जाट की मौत का प्रतिशोध लेने के लिए 12000 सैनिकों ने सिकंदरा पर आक्रमण कर किया था एवं अकबर की कब्र से उसकी हड्डियों को निकाल कर प्रतिरोध स्वरुप आग के हवाले कर दिया था। जो कि ब्रज क्षेत्र के समस्त हिंदू समाज के गौरवशाली इतिहास की शौर्य का प्रतीक है l चाहर खाप के संयोजक डॉ.सुरेश चाहर ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने मांग की है कि समाचार पत्रों में प्रकाशित भ्रामक एवं आधारहीन तथ्यों का स्पष्टीकरण अधीक्षण पुरातत्वविद आगरा के माध्यम से किया जाए तथा भविष्य में किसी प्रकार के भ्रामक तथ्यों एवं जीर्णोद्धार /संरक्षण संबंधित सूचना को प्रकाशित या प्रसारित करने से पहले ऐतिहासिक तत्वों का अवलोकन किया जाए । जिससे जाट समाज को किसी तरह की ठेस न पहुंचे l चाहर खाप के प्रवक्ता इंजीनियर यशपाल चाहर ने कहा कि पुरातत्व विभाग उत्तरी द्वार एवं गलियारा के संरक्षण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाकर जाट समाज के गौरवशाली इतिहास को सुरक्षित एवं संरक्षित किया जाए एवं सिकंदरा विजय के नायक वीर रामकी चाहर एवं राजाराम जाट की अश्वरोही प्रतिमा सिकंदरा परिसर में स्थापित की जाए। तथा सिकंदरा परिसर में सिकंदरा विजय का पूर्ण उल्लेख करते हुए शिलापट भी स्थापित किया जाए। जिससे वहां आने वाले पर्यटक एवं नागरिकों को सही ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी मिल सके एवं विशेष रूप से प्रतिवर्ष 27 फरवरी को जाट समाज द्वारा सिकंदरा विजय दिवस मनाने में पुरातत्व विभाग एवं शासन – प्रशासन अपनी सहभागिता प्रदान करें l यदि इसी प्रकार गौरवशाली इतिहास को मिटाने का प्रयास किया गया तो जाट समाज अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होगा l इस मौके पर मुख्य रूप से सेवानिवृत्त एडिशनल कमिश्नर यादराम वर्मा, वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. सुरेंद्र सिंह, डॉ सुरेश चाहर, इंजी. यशपाल चाहर, किसान नेत्री सावित्री चाहर, कैप्टन उम्मेद सिंह, डॉ. प्रमोद चाहर, मास्टर लेखराज सिंह, रविंद्र चाहर एवं अन्य लोग उपस्थित रहे l

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