आगरा के चार प्रमुख चिकित्सकों को संगीन आरोपों से उन्मोचित किया गया। वादी शफीक अहमद ने अपनी मां की मृत्यु के मामले में चिकित्सकों पर लापरवाही, धोखाधड़ी और अवैध वसूली के आरोप लगाए थे। उच्च न्यायालय ने 6 महीने में निस्तारण का आदेश दिया। वादी और उनके भाई ने कहा कि चिकित्सकों ने कोई लापरवाही नहीं बरती। इस मामले का कानूनी निपटारा चिकित्सा पेशे में विश्वास को बनाए रखता है।
आगरा: शहर के चार प्रमुख चिकित्सकों को संगीन आरोपों से उन्मोचित कर दिया गया है। यह निर्णय एसीजेएम 3 विवेक विक्रम द्वारा लिया गया, जिन्होंने वादी शफीक अहमद और उनके भाई के बयानों के आधार पर यह आदेश दिया।
मामला क्या है?
वादी शफीक अहमद ने अपनी मां की मृत्यु के मामले में चिकित्सकों पर लापरवाही, धोखाधड़ी, अवैध वसूली और अन्य गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने शहर के चिकित्सकों डॉ. रवि मोहन पचौरी, डॉ. रजनी पचौरी, डॉ. पंकज शर्मा और डॉ. आशुतोष सक्सेना के खिलाफ थाना हरीपर्वत में मुकदमा दर्ज कराया था।
उच्च न्यायालय का आदेश
उच्च न्यायालय ने इस मामले में 6 महीने के भीतर निस्तारण का आदेश दिया और चिकित्सकों के खिलाफ उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगाई।
वादी और उनके भाई का बयान
10 सितंबर 2024 को वादी शफीक अहमद और उनके भाई अकील अहमद ने अपने बयानों में स्पष्ट किया कि उनकी मां की मृत्यु इलाज के दौरान हुई थी, और चिकित्सकों ने कोई लापरवाही नहीं बरती। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों ने उनकी मां को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया था।
चिकित्सकों का बचाव
चिकित्सकों के वरिष्ठ अधिवक्ता दीपक शर्मा ने अदालत में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर वादी के बयानों के आधार पर चिकित्सकों को उन्मोचित करने की मांग की। इसके परिणामस्वरूप, एसीजेएम विवेक विक्रम ने चिकित्सकों को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया।