CO जियाउल हक हत्याकांड: 11 साल बाद आया फैसला; दोषियों को उम्रकैद, माता-पिता की फांसी की मांग

MD Khan
3 Min Read

खुखुंदू, प्रतापगढ़: 11 साल पहले कुंडा में हुई सीओ जियाउल हक की हत्या के मामले में सीबीआई न्यायालय ने फैसला सुनाया है। न्यायालय ने 10 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है, जिससे पीड़ित परिवार को थोड़ी राहत मिली है। हालांकि, जियाउल हक के माता-पिता का कहना है कि दोषियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए थी।

घटनाक्रम का संक्षिप्त विवरण

2 मार्च 2013 को जियाउल हक की हत्या बलीपुर में बवाल के दौरान की गई थी। इस मामले की सीबीआई ने जांच की थी, जिसमें कई लोगों को क्लीनचिट भी मिली थी। बुधवार को सीबीआई न्यायालय ने सुनवाई के बाद 10 आरोपियों को दोषी ठहराया और उम्रकैद की सजा सुनाई।

See also  एटा: जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह के सख्त तेवर, प्रशासनिक अमले में बड़ा फेरबदल

परिवार की प्रतिक्रिया

फैसले के बाद जियाउल हक के पिता शमशुल हक और मां हाजरा की आंखों में आंसू आ गए। माता-पिता ने कहा, “उम्रकैद की सजा से थोड़ी ठंडक मिली है, लेकिन हमें फांसी की सजा चाहिए।” उन्होंने कहा कि उनके बेटे की हत्या करने वालों को उनकी पीड़ा का एहसास होना चाहिए।

गांववालों की भावनाएं

गांव के लोगों ने सीबीआई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। पूर्व प्रधान बाबूलाल यादव और अन्य ग्रामीणों ने कहा कि हत्यारों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए थी। गांव के लोग इस मामले को लेकर जागरूक हैं और जियाउल हक की हत्या को नहीं भूल पाए हैं।

See also  Agra News : अवागढ़ राजघराने के जितेंद्र पल सिंह गिरफ्तार, फर्जीवाड़े का है आरोप

सीबीआई का फैसला

सीबीआई के फैसले के बाद गांव में फिर से उस दुखद घटना की याद ताजा हो गई। इस मामले ने पूरे देश में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी थी, जिसमें कई बड़े नेता शामिल हुए थे। अब, 11 साल बाद न्याय मिलने से गांव वालों में एक नई उम्मीद जगी है।

जियाउल हक का संघर्ष

जियाउल हक अपने जीवन में कई मुश्किलों का सामना करते हुए एक सफल अधिकारी बने थे। उनकी कहानी एक प्रेरणा है, जो दिखाती है कि कैसे उन्होंने कठिनाइयों के बावजूद अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की कोशिश की। उनकी हत्या ने उनके परिवार को एक गहरे सदमे में डाल दिया, जिससे वे अभी भी उबरने की कोशिश कर रहे हैं।

See also  बरेली: पुलिस कर्मियों ने आईजी आवास पर लगाए तानाशाही विरोधी नारे, उसके बाद जो हुआ

जियाउल हक हत्याकांड का यह फैसला न्याय की दिशा में एक कदम है, लेकिन परिवार और गांववालों की मांग अभी पूरी नहीं हुई है। वे दोषियों को अधिक कठोर सजा देने की अपेक्षा कर रहे हैं, ताकि उन्हें न्याय का सही अनुभव हो सके।

 

 

 

See also  पूर्व सैन्य कर्मी की दुर्घटना में मृत्यु: 18 लाख 68 हजार रुपये मुआवजा, आदेश जारी
Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement