एटा,अलीगंज- जैसे जैसे आबादी बढती जा रही है वैसे ही नगर की सीमाओं से जुडी कृषि भूमि पर आवासीय कॉलोनियां बनाई जा रही है। खास बात तो यह है कि इन कृषि भूमि को बिना आबादी घोषित कराए इनमें प्लाट बेंचे जा रहे है। प्लाट बेचने के इस खेल में बडे-बडे लोग शामिल हैं, इसीलिए इनमें मानकों को दरकिनार किया गया है। इस खेल से जुडे लोग करोडों का खेल कर रहे हैं। जिससे सरकार के राजस्व को बहुत बडा घाटा है। अलीगंज क्षेत्र में इस तरह की तमाम कॉलोनियां विकसित की जा रही है।
अलीगंज तहसील क्षेत्र में देखा जाए तो अलीगंज नगर, जैथरा नगर, सराय अगहत आदि क्षेत्रों में जमीनों के दाम आसमान छू रहे है। इसका मुख्य कारण है आबादी। इस खेल का सबसे अधिक फायदा भू- माफिया उठा रहे है। हम इनको भू- माफिया इसलिए कह रहे हैं कि यह लोग अवैधानिक तरीके से कृषि भूमि को पहले खरीदते हैं और इसके बाद इनमें आवासीय प्लाटिंग कर कॉलोनियां बनाकर करोडों रूपए का मुनाफा कमा रहे है। ऐसा नहीं कि इन अवैध कॉलोनियों की जानकारी अधिकारियों को नहीं है, लेकिन इसके बाद भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो रही है।
जहाँ हल चलना था, वहाँ ईंटें जम गईं —
भूमि से मोटी कमाई करने के उददेश्य से अलीगंज के सभी मार्गों पर कॉलोनियां बनाई जा रही है। इसमें प्रमुख रूप से नवाबी रोड, बिल्सड रोड, मैनपुरी, सरौठ रोड, कम्पिल रोड, विजैदेपुर रोड के अलावा राई रोड, हत्सारी रोड, अकबरपुर कोट रोड, सराय रोड, नवाबगंज रोड शामिल है। इन रोडों पर सैकडों बीघा जमीन पर कृषि भूमि को बिना आबादी घोषित कराए प्लाटिंग हो रही है। इन कॉलोनियों में लोग प्लाट खरीदकर निवेश कर रहे है।
ऐसा न करने पर माना जाएगा अवैध –
कृषि भूमि को आबादी भूमि घोषित कराना ज़रूरी है, खासकर अगर आप उस पर घर या कोई और गैर-कृषि निर्माण करना चाहते हैं। ऐसा न करने पर यह अवैध माना जाएगा और कानूनी समस्याएं हो सकती हैं। सरकारी नियमों के अनुसार, कृषि भूमि पर कोई भी गैर-कृषि निर्माण जैसे घर, दुकान करने से पहले, उसे आबादी भूमि घोषित करवाना कानूनी तौर पर ज़रूरी है। बिना अनुमति के कृषि भूमि पर निर्माण करने को अवैध माना जाता है। यदि ऐसा किया जाता है, तो बाद में कानूनी कार्रवाई हो सकती है और आपके निर्माण को गिराया भी जा सकता है। भूमि को आबादी घोषित न कराने पर भविष्य में मालिकाना हक को लेकर, बैंक लोन लेने में या फिर मकान बेचने में समस्या आ सकती है।
एसडीएम के यहां होता है आवेदन-
कृषि भूमि को आबादी में घोषित कराने के लिए सम्बन्धित उपजिलाधिकारी के यहां आवेदन किया जाता है। इसके लिए आवश्यक जाँच और रिपोर्ट लेखपाल और कानूनगो से ली जाती है इन्हीं रिपोर्टस के आधार पर भूमि को आबादी घोषित करने का निर्णय उपजिलाधिकारी लेते है। इस प्रक्रिया में शुल्क भी लग सकता है, जो राज्य और भूमि के क्षेत्रफल के अनुसार अलग-अलग होता है।