झांसी। (सुलतान आब्दी)। झांसी के जिलाधिकारी मृदुल चौधरी ने जनपद में तेजी से बढ़ रहे तापमान को देखते हुए एक महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी में आग लगने की घटनाओं से बचाव और आग लगने से रोकने के संबंध में जनपद वासियों से सतर्क रहने की अपील की गई है।
जिलाधिकारी मृदुल चौधरी ने गर्मी के मौसम में आग से बचाव के लिए क्या करें और क्या न करें, इसकी विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अस्पताल, स्कूल, मॉल के साथ-साथ सभी सार्वजनिक और सरकारी प्रतिष्ठानों में आग से बचाव के पर्याप्त इंतजाम अनिवार्य रूप से होने चाहिए। इन संस्थानों में फायर एक्सटिंग्विशर, फायर सिक्योरिटी अलार्म और अन्य आवश्यक सुरक्षा व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि सभी फायर एक्सटिंग्विशर की एक्सपायरी डेट नियमित रूप से जांच ली जाए, क्योंकि एक्सपायर हो चुके फायर एक्सटिंग्विशर आग लगने की स्थिति में बड़े नुकसान का कारण बन सकते हैं। उन्होंने सभी संबंधित विभागों और संस्थानों को इन व्यवस्थाओं को पूरी तरह से दुरुस्त करने के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी ने बताया कि मेडिकल कॉलेज, संग्रहालय, जिला अस्पताल, बड़े स्कूल और अन्य महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थानों पर आग से बचाव के पुख्ता इंतजाम प्राथमिकता के आधार पर किए जाएं। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि जनपद में नागरिक सुरक्षा संगठन कार्यालय में जिला आपदा प्रबंधन शाखा द्वारा एक कार्यशाला आयोजित कर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया, जिसके माध्यम से विभिन्न आपदा मित्रों को आग लगने की घटनाओं की रोकथाम और प्रबंधन के संबंध में प्रशिक्षित किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला अग्निशमन पदाधिकारी, प्रभारी पदाधिकारी जिला आपदा प्रबंधन प्रशाखा और एसडीआरएफ की टीम ने सक्रिय रूप से भाग लिया। जिलाधिकारी ने बताया कि गर्मी के दिनों में आग लगने की घटनाओं में वृद्धि हो जाती है, क्योंकि इस मौसम में आग के फैलने के लिए परिस्थितियां भी अनुकूल रहती हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से कई घटनाएं मानवीय कारणों से उत्पन्न होती हैं, जिन्हें थोड़ी सी जागरूकता, सतर्कता और सावधानी से काफी हद तक कम किया जा सकता है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि सावधानी ही बचाव और सुरक्षा का सबसे महत्वपूर्ण उपाय है। आग से बचने और जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी नागरिकों को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों में आग लगने की संभावना अधिक होती है, इसलिए किसान एक खलिहान से दूसरे खलिहान की दूरी कम से कम 20 फीट रखें।
- खलिहान ऐसी जगह पर बनाएं जहां अग्निशमन वाहन आसानी से पहुंच सके और जहां पानी के स्रोत जैसे नदी, तालाब, कुआं या बोरिंग पास में हों।
- खलिहान में कच्ची फसलों का बड़ा ढेर न लगाएं।
- खलिहान के आसपास अलाव न जलाएं, और यदि जलाना बहुत आवश्यक हो तो पानी से भरी बाल्टियां पास में अवश्य रखें।
अंत में, जिलाधिकारी मृदुल चौधरी ने जनपद वासियों से अपील की कि यदि उनके आसपास कहीं भी आग लगने की घटना होती है, तो इसकी सूचना तत्काल कंट्रोल रूम और अग्निशमन पदाधिकारी तक पहुंचाएं, ताकि अग्निशमन वाहनों को त्वरित कार्रवाई के लिए भेजा जा सके और जान-माल की हानि को कम किया जा सके।