आगरा: आगरा कॉलेज के प्रिंसिपल पद से हटाए गए डॉ. अनुराग शुक्ल ने इस निर्णय को चुनौती देते हुए उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग और उच्च शिक्षा निदेशक द्वारा जारी आदेशों के खिलाफ याचिका दायर की है। यह याचिका अब हाई कोर्ट की दूसरी बेंच में 16 जनवरी को सुनवाई के लिए रखी गई है।
डॉ. अनुराग शुक्ल की याचिका और तर्क
डॉ. शुक्ल ने अपनी याचिका में कहा है कि उच्च शिक्षा निदेशक के आदेश ने उन्हें प्रिंसिपल पद से हटाकर आगरा कॉलेज में प्राचार्य की आसन व्यवस्था को रिक्त घोषित कर दिया है। इसके बाद उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग ने उनका अभ्यर्थन शून्य घोषित कर दिया, जो उन्होंने गलत बताया है।
डॉ. शुक्ल की याचिका में प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा, निदेशक उच्च शिक्षा, आगरा कॉलेज प्रबंध समिति की अध्यक्ष ऋतु माहेश्वरी (जो मंडलायुक्त भी हैं) और कॉलेज के अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. सीके गौतम को पक्षकार बनाया गया है।
हाई कोर्ट में याचिका की स्थिति
इस याचिका की पहले सुनवाई जस्टिस प्रकाश पहाड़िया की बेंच में हो रही थी, लेकिन बाद में कोर्ट ने कहा कि इसे रेगुलर बेंच में भेजा जाए। इसके बाद अब यह याचिका जस्टिस शमशेरी सिंह की कोर्ट में सुनी जाएगी। हाई कोर्ट ने इस मामले में संबंधित पक्षों को काउंटर दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया था और अब सभी पक्षों से काउंटर दाखिल हो चुके हैं।
सुनवाई की तारीख
हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 16 जनवरी की तारीख तय की है। इस दिन डॉ. शुक्ल की याचिका पर सुनवाई होगी और इसके बाद कोर्ट इस मामले में फैसला सुनाएगी। इस सुनवाई को लेकर कॉलेज के छात्र-छात्राओं और शिक्षकों के बीच भी उत्सुकता बनी हुई है क्योंकि यह निर्णय डॉ. शुक्ल की भविष्यवाणी और आगरा कॉलेज के शैक्षिक माहौल पर महत्वपूर्ण असर डाल सकता है।
आगामी उम्मीदें और सियासी दबाव
डॉ. शुक्ल का दावा है कि उन्हें राजनीतिक कारणों से और बिना उचित प्रक्रिया के हटाया गया है। उनका आरोप है कि उच्च शिक्षा मंत्री और संबंधित अधिकारी उनके खिलाफ साजिश रच रहे हैं। इस मामले में कोर्ट का निर्णय केवल डॉ. शुक्ल के लिए नहीं, बल्कि आगरा कॉलेज और राज्य के उच्च शिक्षा विभाग के लिए भी अहम साबित हो सकता है।