एटा। उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती में पारदर्शिता के तमाम दावों के बीच एटा से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। मेडिकल परीक्षण से पहले ही अभ्यर्थियों को अनफिट करने की धमकी देकर लाखों रुपये वसूलने का गोरखधंधा चल रहा था। अभी तक इस पूरे खेल के केंद्र में मेडिकल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ.अनुभव अग्रवाल और डॉ राहुल वार्ष्णेय हैं, जिनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है।
वायरल वीडियो में डॉक्टर अनुभव अग्रवाल भर्ती अभ्यर्थियों से पैसे लेते और परीक्षण करते नजर आ रहे हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए एडीएम प्रशासन सत्य प्रकाश और एएसपी राजकुमार सिंह ने जांच शुरू की, जिसमें सामने आया कि यह पूरी साजिश सुमित्रा डायग्नोस्टिक सेंटर में रची गई थी।
घोटाले की प्रमुख बातें:
भर्ती में शामिल 755 अभ्यर्थियों का मेडिकल पूर्व में कराना और उन्हें डर दिखाकर वसूली करना
सैकड़ों अभ्यर्थियों से करोड़ों रुपये की रकम ऐंठे जाने की आशंका
निजी सेंटर में भर्ती अभ्यर्थियों की गोपनीय मेडिकल प्रक्रिया कराना
वीडियो में डॉ. अनुभव अग्रवाल के साथ अन्य लोगों की भी संदिग्ध भूमिका
जांच में यह भी सामने आया कि जिन अभ्यर्थियों की मेडिकल तारीखें आगे थीं, उन्हें बुलाकर कहा गया कि अगर पैसे नहीं दिए तो उन्हें अनफिट घोषित कर दिया जाएगा। इसी डर में फंसे कई अभ्यर्थियों और उनके परिजनों ने लाखों रुपये दिए।
मुख्यमंत्री के आदेश भी नाकाम?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ संपत्ति कुर्क करने और 10 करोड़ तक का जुर्माना लगाने का सख्त आदेश दिया था। बावजूद इसके, यह गिरोह कई दिनों से सक्रिय था और सरकारी तंत्र की आंखों में धूल झोंककर खुलेआम खेल खेल रहा था।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या डॉक्टर अनुभव ही मास्टरमाइंड है या कोई और ताकतवर चेहरा पर्दे के पीछे से सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि खराब करने की फिराक में है।
न्याय की उम्मीद लिए बैठे हैं अभ्यर्थी
भर्ती की तैयारी में वर्षों लगा चुके युवा अब इस खुलासे से सदमे में हैं। उनका कहना है कि अगर भर्ती ही पैसे से होनी है तो फिर मेहनत करने का क्या मतलब? अभ्यर्थी अब मुख्यमंत्री से न्याय की मांग कर रहे हैं और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की अपील कर रहे हैं।
यह घोटाला सिर्फ पैसे का नहीं, युवाओं के सपनों और भविष्य के साथ विश्वासघात है। इस खुलासे ने सरकार की शक्ति और नियंत्रण प्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। क्या मुख्यमंत्री के आदेशों का जमीन पर पालन हो रहा है या भ्रष्टाचारियों की पकड़ अब भी तंत्र पर भारी है?