दंगे में मौतों का आंकड़ा और स्थानीय दावा
संभल में हुए इस दंगे में आधिकारिक रूप से 24 लोगों की मौत की पुष्टि की गई थी, लेकिन स्थानीय निवासियों का दावा था कि मृतकों की संख्या आधिकारिक आंकड़ों से कहीं अधिक थी। इस मामले को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि इस दंगे में कुल 184 लोगों की मौत हुई थी और कई परिवारों को अपना घर छोड़कर पलायन करना पड़ा था। अब पुलिस और प्रशासन की जांच का उद्देश्य दंगे में हुई असली मौतों का आंकड़ा जुटाना है। इसके साथ ही, दंगे के बाद बेघर हुए लोगों की वास्तविक संख्या भी सामने लाने की कोशिश की जाएगी।
जांच के लिए प्रशासनिक कदम और फाइल की फिर से खोलने की प्रक्रिया
संभल के एसपी केके बिश्नोई ने डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया को पत्र लिखकर सूचित किया कि यूपी विधान परिषद के सदस्य श्रीचंद शर्मा ने 1978 के दंगे की जांच की मांग की थी। इसके बाद, उन्हें यूपी के उप सचिव गृह और पुलिस अधीक्षक मानवाधिकार का पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें इस मामले की जांच के लिए प्रशासनिक कदम उठाने की बात की गई। एसपी ने डीएम से यह अनुरोध किया है कि संयुक्त प्रशासनिक जांच के लिए एक अधिकारी को नामित किया जाए।
दंगा और उसके बाद की स्थिति
1978 के दंगे के बाद पूरे संभल जिले में कई दिनों तक कर्फ्यू लगा था। इस दौरान दंगे को लेकर कुल 169 केस दर्ज किए गए थे। मुरादाबाद के कमिश्नर ने संभल के डीएम से इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज़ मंगवाए हैं ताकि जांच के दौरान कोई भी महत्वपूर्ण जानकारी छूट न जाए।
इसके अलावा, प्रशासन अब दंगे के बाद बेघर हुए लोगों की संख्या भी पता करने की कोशिश करेगा, ताकि उन परिवारों को उचित सहायता प्रदान की जा सके।
संभल दंगे की जांच की अहमियत
1978 के दंगे को लेकर योगी सरकार का यह कदम ऐतिहासिक है, क्योंकि इस मामले को लेकर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए थे। इस दंगे में जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई और जो परिवार अपनी संपत्ति खो बैठे, उनके लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। योगी सरकार की ओर से की गई इस कार्रवाई से स्थानीय निवासियों में एक नई उम्मीद जागी है कि उन्हें न्याय मिलेगा और दंगे के असली कारणों का पता चल सकेगा।