मॉडल से साध्वी बनीं हर्षा रिछारिया ने जगाई सनातन की अलख; वृंदावन से संभल तक सनातन युवा जोड़ों पदयात्रा शुरू, तिलकधारी बुर्कानशी युवती बनी आकर्षण का केंद्र

Deepak Sharma
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मथुरा/वृंदावन: मॉडल से महाकुंभ में साध्वी बनीं हर्षा रिछारिया ने वृंदावन की पावन नगरी में भगवान बांके बिहारी का आशीर्वाद लेकर सनातन युवा जोड़ों पदयात्रा का शुभारंभ किया। सनातन धर्म के जयकारों के साथ स्थानीय श्रीराम मंदिर से शुरू हुई यह पदयात्रा अलीगढ़ होते हुए 175 किलोमीटर की दूरी तय करेगी और 21 अप्रैल को संभल में संपन्न होगी।

मथुरा मार्ग स्थित श्रीराम मंदिर में साध्वी हर्षा रिछारिया ने सोमवार सुबह भगवान भोलानाथ की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। इसके पश्चात, उन्होंने वृंदावन से संभल तक की 175 किलोमीटर लंबी पदयात्रा की शुरुआत की। इस अवसर पर साध्वी रिछारिया ने कहा कि इस पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य युवाओं को गलत संगत से दूर कर सनातन धर्म की गौरवशाली परंपराओं से जोड़ना है।

हर्षा रिछारिया ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह पदयात्रा उन युवाओं को सनातन मार्ग पर वापस लाने का एक प्रयास है, जो किसी कारणवश धर्म से भटक गए हैं। वृंदावन से शुरू हुई यह महत्वपूर्ण यात्रा 20 अप्रैल को संभल पहुंचेगी, जहां 21 अप्रैल को एक भव्य समापन कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस पदयात्रा में सैकड़ों की संख्या में संत, महंत, महामंडलेश्वर और विभिन्न धर्माचार्यों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिससे इस पहल को और भी अधिक बल मिला। मुंबई से आईं किन्नर महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने भी इस पदयात्रा में शामिल होकर अपना समर्थन व्यक्त किया।

तिलकधारी बुर्कानशी युवती बनी आकर्षण का केंद्र

इस पदयात्रा में एक विशेष बात जिसने सबका ध्यान खींचा, वह थी मथुरा की अलीशा खान की भागीदारी। अलीशा बुर्का पहने हुए थीं, लेकिन उनके माथे पर स्पष्ट रूप से तिलक लगा हुआ था। इस अनोखे रूप में पदयात्रा में शामिल होने के कारण अलीशा सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गईं।

अलीशा ने इस बारे में बताते हुए कहा कि उन्होंने आठ महीने पहले सचिन से प्रेम विवाह किया है और अब वह सनातन संस्कृति से गहराई से प्रभावित हैं। उनका कहना है कि सनातन धर्म में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया जाता है, जबकि उनके पूर्व के समाज में लड़कियों को उतना सम्मान नहीं मिलता था। अलीशा का यह कदम सनातन धर्म के प्रति उनकी आस्था और जुड़ाव को दर्शाता है।

साध्वी हर्षा रिछारिया की यह पदयात्रा सनातन धर्म के मूल्यों को युवाओं तक पहुंचाने और उन्हें अपनी जड़ों से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। वृंदावन से संभल तक संतों और युवाओं का यह कारवां निश्चित रूप से एक सकारात्मक संदेश देगा।

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