आगरा:अछनेरा के गांव हसेला में मानवीय संवेदनाएं हुई तार तार

Jagannath Prasad
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नगला बंजारा में मृतक के अंतिम संस्कार के इंतजार में मायूस बैठे स्वजन

दस घंटे तक मृतक की अंत्येष्टि के लिए सड़क पर शव रखकर आंसू बहाते रहे परिजन

किरावली। कहते हैं कि इंसान के मरने के बाद अपने और पराए के सारे बंधन मिटकर सभी लोग मिलकर दुख में सहभागी बनते हैं। अर्थी को कंधा देकर मृतक की आत्मशांति की प्रार्थना करते हैं। अछनेरा के गांव हसेला के नगला बंजारा में एक मृतक के शव को अंत्येष्टि के लिए दो गज जमीन भी नसीब नहीं हो पाई, स्वजन दस घंटे तक शव को सड़क पर रखकर अंत्येष्टि के इंतजार में आंसू बहाते रहे।
नगला बंजारा के 45 वर्षीय कप्तान सिंह की बीती रात्रि बीमारी के कारण मौत हो गई थी। सोमवार सुबह लगभग 7 बजे स्वजन अंतिम संस्कार के लिए शव को अंत्येष्टि स्थल तक लेकर जा रहे थे, गांव के दबंगों ने अर्थी को खेतों से निकलने नहीं दिया। मृतक के स्वजनों ने काफी देर तक मिन्नतें की, लेकिन दबंगों ने अपना रवैया नहीं बदला। दबंग किसी भी कीमत पर रास्ता देने के लिए राजी नहीं हुए। मायूस होकर स्वजन अंत्येष्टि स्थल पर अंतिम संस्कार के इंतजार में मृतक कप्तान के शव को सड़क पर रखकर रोने लगे। घटनाक्रम की सूचना कर नायब तहसीलदार एचएल चौधरी, थाना प्रभारी विनोद मिश्रा पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने काफी देर तक माहौल को सामान्य करते हुए अंतिम संस्कार हेतु वार्ता की कोशिश की। दबंगों के रुख के आगे अधिकारियों को भी बैकफुट कर आना कड़ा। अधिकारियों ने मृतक के स्वजनों को समझाकर किसी तरह उनकी निजी जमीन पर ही शाम 5 बजे अंतिम संस्कार के लिए रजामंद किया।

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अंत्योष्टि स्थल के लिए वर्षों से संघर्ष

पूर्व में प्रशासन ने गांव में खेतों के बीच दो बिस्वा जमीन को अंत्येष्टि स्थल के रूप में चिन्हित किया था। गांव के दबंगों को अपने खेतों से होकर अंत्येष्टि स्थल तक लोगों का पहुंचना किसी कीमत ओर मंजूर नहीं था। सोमवार को उजागर हुआ यह प्रकरण नया नहीं है। इससे पहले भी ऐसे हालात बन चुके हैं। प्रशासन द्वारा इस ज्वलंत समस्या का समाधान निकालने की जरूरत नहीं समझी गई। जिसका खामियाजा गांव के गरीब तबके के ग्रामीण भुगत रहे हैं। दबंगों द्वारा उनके आगे भय का माहौल स्थापित करने की कोशिशें हो रही हैं।

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इनका कहना है

गांव में सरकारी जमीन को अंत्येष्टि स्थल के रूप में विकसित करने का गांव के कुछ किसान विरोध कर रहे हैं। किसी की निजी जमीन अंत्येष्टि स्थल के रूप में नहीं ली जाएगी। गांव में सहमति नहीं बनने पर दूसरी सरकारी जमीन को चिन्हित करवाया जाएगा।
एचएल चौधरी-नायब तहसीलदार

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