आगरा: थाना बरहन क्षेत्र में लगातार हरे पेड़ों का कटान जारी है, और वन विभाग के अधिकारियों की निष्क्रियता इसपर सवाल खड़े कर रही है। हाल ही में शिवालय टेहू गांव और नगला पीता के आसपास हरे पेड़ों को जड़ से काट दिया गया है। इस घटना को लेकर स्थानीय नागरिकों ने वन विभाग की कार्यशैली पर गंभीर आरोप लगाए हैं और आरोप लगाया है कि वन विभाग और पेड़ माफिया ठेकेदारों के बीच साठगांठ हो सकती है, जिसकी वजह से इन अवैध गतिविधियों पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो रही है।
माफियाओं के बढ़ते हौसले
बरहन क्षेत्र के अहारन चौकी अंतर्गत शिवालय टेहू के पास शनिवार को माफियाओं ने कई हरे पेड़ों को काटकर नष्ट कर दिया। एक दिन पहले नगला पीता गांव में एम.डी. जैन इंटर कॉलेज के पास भी पेड़ माफियाओं ने आधा दर्जन से अधिक हरे पेड़ों को काटकर उनकी लकड़ी का अवैध व्यापार किया। इस पर स्थानीय नागरिकों ने वन विभाग से शिकायत की थी, लेकिन वन विभाग ने समय पर कोई कार्रवाई नहीं की।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, जब शिकायत के बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची, तो माफियाओं को कुछ उपकरणों सहित पकड़ लिया, लेकिन वन विभाग ने इस मामले को जल्द ही रफादफा कर दिया। इसके बाद से ही पेड़ माफियाओं के हौसले और भी बढ़ गए हैं। वन विभाग की लापरवाही से पेड़ माफिया बेखौफ होकर हरे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं।
वन विभाग की लापरवाही पर सवाल
वन विभाग की चुप्पी से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि विभाग और पेड़ माफिया ठेकेदारों के बीच साठगांठ हो सकती है। ऐसा नहीं होता, तो इस तरह के अवैध कृत्यों पर जल्दी और प्रभावी कार्रवाई होती। क्षेत्र के नागरिकों का कहना है कि सरकार पर्यावरण बचाने और पेड़ लगाने की मुहिम चला रही है, लेकिन वन विभाग के अधिकारी उनकी ही मुहिम पर पानी फेरने का काम कर रहे हैं।
इन घटनाओं से यह साफ होता है कि विभाग द्वारा पर्यावरण को बचाने के लिए की जाने वाली कोशिशों में विफलता हो रही है, और इसका सीधा असर हमारे प्राकृतिक संसाधनों पर पड़ रहा है।
पेड़ कटने से पर्यावरण पर प्रभाव
हर साल लाखों पेड़ काटे जाते हैं, जो हमारे पर्यावरण के लिए खतरे की घंटी है। यह न केवल प्रदूषण के स्तर को बढ़ाता है, बल्कि यह हमारे जीवन के लिए भी घातक हो सकता है। जंगलों के कटने से जलवायु परिवर्तन, बाढ़, सूखा और मृदा अपरदन जैसी समस्याओं में वृद्धि हो रही है।
सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण और पेड़ लगाने के लिए उठाए गए कदमों का कोई फायदा नहीं हो रहा है, जब तक वन विभाग इस तरह की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई नहीं करेगा।
वन विभाग की चुप्पी और लापरवाही के कारण पेड़ माफियाओं के हौसले बुलंद हो गए हैं। जब तक वन विभाग ठेकेदारों और माफियाओं के साथ साठगांठ की जांच नहीं करता और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करता, तब तक इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता। अगर यह स्थिति यूं ही जारी रही, तो न केवल बरहन, बल्कि पूरे क्षेत्र का प्राकृतिक पर्यावरण खतरे में आ जाएगा।