उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में कड़ा धाम स्थित 96 बीघा भूमि को वक्फ बोर्ड से मुक्त कराना एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है। यह कार्रवाई वक्फ संशोधन विधेयक पर आधारित है और इसे देश भर में एक मिसाल माना जा रहा है। इस मामले में एडीएम (न्यायिक) कोर्ट के फैसले के बाद शासकीय अधिवक्ता ने शासन को छह बिंदुओं पर सुझाव भेजे हैं, जिनमें से कुछ को शासन ने स्वीकार कर लिया है।
कोर्ट का आदेश और भूमि का इतिहास
इस भूमि का विवाद लंबे समय से चला आ रहा था। स्थानीय निवासी सैयद नियाज अशरफ अली ने दावा किया था कि यह भूमि अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में ख्वाजा कड़क शाह के नाम से माफीनामा पर आधारित है। उन्होंने वर्ष 1945 में दीवानी अदालत में मुकदमा दायर किया, लेकिन अदालत ने इसे वक्फ संपत्ति नहीं माना।
1952 में भूमि को ग्राम समाज के नाम दर्ज किया गया, और फिर 1974 में नियाज ने दोबारा अदालत का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, फिर से अदालत ने इसे वक्फ संपत्ति मानने से इनकार कर दिया। लेकिन 1979 में चकबंदी अधिकारी ने इसे वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया। मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा, जहां ग्राम सभा ने अपना पक्ष रखा।
एडीएम (न्यायिक) का फैसला
अंततः, हाई कोर्ट ने एडीएम (न्यायिक) डॉ. विश्राम को मामले की सुनवाई का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान एडीएम ने वक्फ संपत्ति संबंधी अभिलेखों को गलत पाया और पाया कि वक्फ बोर्ड अपने पक्ष में कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका। इस प्रकार, 2 दिसंबर 2022 को एडीएम (न्यायिक) ने भूमि को ग्राम सभा में दर्ज करने का आदेश दिया।
शासन को सुझाव और आगे की राह
इस निर्णय के बाद, जिला शासकीय अधिवक्ता शिवमूर्ति द्विवेदी ने शासन को रिपोर्ट भेजी। उन्होंने बताया कि कड़ा धाम में वक्फ बोर्ड द्वारा अवैध रूप से कब्जाई गई यह भूमि अब सरकारी खाते में दर्ज कराई जा चुकी है। शासकीय अधिवक्ता के द्वारा भेजे गए सुझावों में से कई को शासन ने स्वीकार कर लिया है, जिससे अन्य जिलों में भी कौशांबी की इस कार्रवाई को नजीर के रूप में देखा जा सकता है।
कौशांबी का यह मामला न केवल स्थानीय समुदाय के लिए एक सकारात्मक बदलाव का प्रतीक है, बल्कि यह पूरे देश में वक्फ संपत्तियों के संबंध में कानूनी अधिकारों और दावों की समीक्षा का भी आधार प्रदान करता है। यह कदम यह दिखाता है कि कैसे कानून और प्रशासनिक कार्यवाही के माध्यम से समाज में न्याय की बहाली की जा सकती है। आने वाले समय में, यह अन्य क्षेत्रों में भी समान कार्रवाई के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकता है।