आगरा। जयपुर हाउस स्थित एडीए इमारत में बैठे कर्मचारी भ्रष्टाचार की चासनी में डूबे हुए हैं। एडीए वीसी के तेवर देख भ्रष्ट कर्मचारी सकते में आ गये हैं। वह अपनी-अपनी नौकरी बचाने में लगे हुए हैं। बाबू किसी भी तरीके से नये साहब को रिझाने की कोशिश में हैं, लेकिन वीसी द्वारा की जा रही कार्रवाई से प्रतीत होता है कि उन्हे साफ निद्रेश देकर भेजा है कि हर हाल में कर्ज में डूबे एडीए को बाहर निकालना है। वहीं कुछ अधिकारी आज भी अपनी मनमानी पर तुले हुए हैं। उनके आफिस में शिकायतों की गठरी पड़ी हैं, लेकिन उन पर कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं। उनमें से एक शिकायत शहर में लगे सैकड़ों मोबाइल कंपनियों के टॉवर हैं। जिनकी रिनुअल फीस आजतक जमा नहीं हुई हैं। कई दर्जन टॉवर अवैध हैं। उनके मानक पूरे नहीं हुए हैं। एडीए मोबाइल कंपनियों पर शिकंजा कस दे, तो करोड़ों रुपये कोष में जमा हो सकते हैं। जिन अधिकारियों की कंपनी पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी है, वे उनकों सुविधा शुल्क लेकर क्षमादान दिये हुए हैं।
आगरा विकास प्राधीकरण विभागीय लापरवाही के चलते लगभग 400 करोड़ रुपये के कर्ज में है। सूत्रों के अनुसार शासन स्तर से हुई बैठक में आवाज उठी कि एडीए को ग्रेटर नोयडा में मर्ज कर दिया जाये। उसी बैठक में तय हुआ कि एडीए उपाध्यक्ष के पद पर तेज तर्रार आईएएस को भेज कर्ज में डूबे विभाग को बचाया जा सके। शासन की मंशा पर एडीए वीसी राजेन्द्र पैसिया खरे उतरते दिख रहे हैं। उन्होंने वर्षों से पड़ी एडीए की जमीन और भूखंडों को पुन: आवंटन कर करोड़ों का लाभ पहुंचाया है। एडीए की जमीन अवैध कब्जों को हटवाया जा रहा है। वहीं एडीए के पचास प्रतिशत अधिकारी वीसी के मुताबिक काम कर रहे हैं, उतने ही कर्मचारी अभी लापरवाही बरत रहे हैं। वह आज भी मलाई खाने में लगे हैं। समाजसेवी/आम आदमी पार्टी वरिष्ठ नेता कपिल बाजपेयी ने बताया कि वह वर्ष 2011 से लेकर 2019 तक शहर में लगे मोबाइल कंपनियों के टॉवरों की शिकायत कर रहे हैं। विभाग ने उनकी शिकायत पर आज तक अमल नहीं लिया है। विभाग इन टॉवर की जांच कर कार्रवाई करे, तो बड़ा झोल निकलेगा।
कंपनियों ने नहीं किये मानक पूरे
वर्ष 2008 में हुए एक सर्वे के मुताबिक शहर में लगभग 500 टावर हैं। टावर लगाने के दौरान फीस जमा होती है। वह हर तीन साल बाद रिनुअल की जाती है। श्री बाजपेयी ने अपनी शिकायत में दावा किया है कि एक भी मोबाइल कंपनी ने रिनुअल फीस जमा नहीं की है। उन्होंने बताया कि 500 टावर अवैध हैं। टावर लगने के लिए कंपनी को एअरफोर्स, प्रदूषण, फायर विभाग, मोहल्ला समिति (आरएडब्ल्यू) आदि की एनओसी (नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट) नहीं ली हैं। कंपनी अपनी तरफ से ही मोहल्ला समिति बनाकर फर्जी एनओसी बना लेती हैं। यही हाल प्रदूषण और एअरफोर्स की एनओसी का रहता है। वह जानते हैं कि उनसे कोई पूछने नहीं आ रहा। उन्हे सिर्फ जिस क्षेत्र में टावर लगना है, वहां के थानाध्यक्ष को समझना (लेनदेन) है। इनके अलावा लोकल नेतागीरी सेट करनी है।
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स्कूल, अस्पताल पर नहीं लगते टावर
मोबाइल कंपनी के टावर स्कूल, कॉलेज और किसी भी अस्पताल की छत पर नहीं लग सकते। उसके बावजूद भी आगरा में लोहामंडी थाने के ठीक सामने रत्न मुनि इंटर कॉलेज परिसर में मोबाइल टावर लगा है। थाना हरीपर्वत के देहलीगेट स्थित पुष्पाजंलि अस्पताल की छत पर मोबाइल टावर लगा है। बतादें कि इस अस्पताल पर तो फायर की एनओसी तक नहीं है। उसके बाद खाकी की मेहरबानी से धड़ल्ले से चल रहा है। फायर विभाग भी आंख मूंदे हुए है।
ये दो टावर तो महज उदाहरण हैं
जिले में इस तरह के टावर दर्जनों लगे हैं। इसके अतिरिक्त टावर वाली इमारत का नक्शा पास होना जरूरी है। जबकि शहर में अवैध कॉलोनियों में टावर लगा दिये है। राजामंडी, लोहामंडी, टेड़ी बगिया आदि क्षेत्रों में जर्जर इमारतों पर टावर लगे हुए हैं। यह सब भवन निर्माण उपविधि का उल्लघंन कर रहे हैं।
ये टावर लगने के नियम
- इमारत या घर के सामने नो मीटर की रोड होनी चाहिए।
- इमारत की छत से टावर तीन मीटर उंचाई पर लगता है।
- एडीए और आवास विकास की परमीशन होना अनिवार्य होता है।
- इमारत का नक्शा पास होना अतिआवश्यक है।
- फायर, प्रदूषण एयरफोर्स, और मोहल्ला समिति की एनओसी जरूरी है।
- अनुज्ञा फीस का 25 प्रतिशत रुपया जमा करना होता है।
- मोबाइल टावर की अनुज्ञा फीस एक लाख रुपये है।
- तीन साल में रिनुअल करना होेता है।
- आबादी वाले इलाके से टावर की दूरी कम से कम 35 मीटर अनिवार्य है।
- एंटीना की संख्या के आधार पर दूरी का निर्धारण किया गया है।
- सरकारी जमीन पर टावर लगाने के लिए अंचल कार्यालय से एनओसी जारी किया जाएगा।
- मोबाइल कंपनी के पास बीएसएनएल की ओर से जारी एक्सेस सर्विस लाइन का लाइसेंस होना चाहिए।
- रेडिएशन (विकिरण) की जांच के लिए राज्यस्तरीय टर्मसेल यूनिट, यूपी से एनओसी लेना होगा।
दूरी का हिसाब-किताब
- दो एंटीना वाले टावर 25 मीटर
- चार एंटीना वाले टावर 45 मीटर
- छह एंटीना वाले टावर 55 मीटर
- आठ एंटीना वाले टावर 70 मीटर
- 12 एंटीना हो तो 75 मीटर