आगरा: महाकुंभ से लौटीं राखी उर्फ गौरी गिरि महारानी, कहा- जीवनभर पहनूंगी भगवा, मुझ पर ही क्यों बखेड़ा?

Agra: Rakhi Alias Gauri Giri Maharani Returns from Mahakumbh, Says Will Wear Bhagwa for Life, Why the Controversy Only on Me?

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आगरा: ताजनगरी से प्रयागराज महाकुंभ गईं 13 वर्षीय राखी, जिन्हें अब गौरी गिरि महारानी के नाम से जाना जाता है, और उनका परिवार 22 दिन बाद आगरा लौट आया है. कम उम्र में राखी को साध्वी बनाने पर उठे विवाद के बाद उनका संन्यास वापस ले लिया गया है. इस घटना के चलते जूना अखाड़े ने महंत कौशल गिरी महाराज को भी निष्कासित कर दिया है. डौकी में राखी, उनके पिता और माँ ने ईटीवी भारत से इस पूरे मामले पर विशेष बातचीत की. पिता के अनुसार, यह पूरा मामला एक रिश्तेदार की रंजिश से जुड़ा है, जबकि राखी ने अपनी साध्वी बनने की दृढ़ इच्छा व्यक्त की है.

आगरा के फतेहाबाद इलाके के गांव टर्रकपुर निवासी पेठा व्यापारी संदीप सिंह धाकरे अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ 25 दिसंबर 2024 को प्रयागराज महाकुंभ गए थे. संदीप सिंह के अनुसार, वे करीब 15 साल से डौकी में किराए पर रह रहे हैं. प्रयागराज में, उनकी बेटी राखी की साध्वी बनने की इच्छा पर, उन्होंने उसे जूना अखाड़े को ‘दान’ कर दिया था. राखी ने परिवार के साथ वापस न लौटने और साध्वी बनने की अपनी दृढ़ इच्छा व्यक्त की थी.

राखी ने बताया कि बचपन से ही उनका सनातन धर्म से लगाव रहा है. 11 साल की उम्र में ही उन्होंने महंत कौशल गिरी महाराज से दीक्षा ले ली थी. जब वे परिवार समेत प्रयागराज पहुँचे, तो उनका मन वहीं रम गया. जब उनके माता-पिता ने उन्हें घर चलने को कहा, तो उन्होंने अपनी बचपन की साध्वी बनने की इच्छा परिवार और गुरु को बताई.

राखी ने आगे बताया कि उनके माता-पिता और गुरु ने उन्हें समझाया कि उन्हें अभी साध्वी नहीं बनना चाहिए और अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए. लेकिन राखी ने अपनी जिद पर अड़ी रही और कहा कि अगर उसकी बात नहीं मानी गई तो वह गंगा में कूदकर जान दे देगी. इसके बाद ही जूना अखाड़े में उन्हें साध्वी बनाने पर सहमति बनी. महंत कौशल गिरी महाराज के सामने उनके माता-पिता ने उन्हें जूना अखाड़े को ‘दान’ कर दिया और उन्होंने संन्यास ले लिया.

राखी ने यह भी सवाल उठाया कि महाकुंभ में उनसे भी छोटे साधु हैं, लेकिन उनकी उम्र को लेकर कोई सवाल नहीं उठा रहा है, जबकि उनके मामले में इतना बखेड़ा खड़ा हो गया है.

संदीप सिंह धाकरे ने बताया कि उनकी पत्नी रीमा सिंह की बहन पदमा सिंह के दामाद के साथ उनके व्यापारिक विवाद के चलते यह पूरा मामला एक रिश्तेदार की रंजिश का नतीजा है. उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी बेटी को 25 लाख रुपये में जूना अखाड़े को बेचने का झूठा आरोप लगाया गया है.

संदीप सिंह ने बताया कि महंत कौशल गिरी महाराज का जन्म उनके बुआ और फूफा के यहाँ हुआ था और वे उनके रिश्तेदार हैं.

राखी का भविष्य का इरादा 

राखी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह जीवन भर भगवा ही पहनेंगी और अब यही उनका वस्त्र है. उन्होंने कहा कि वे दीदी ऋतंभरा के वृंदावन आश्रम में रहकर अपनी पढ़ाई जारी रखेंगी और सनातन धर्म का प्रचार करेंगी. उन्होंने महंत कौशल गिरी महाराज पर लगाए गए आरोपों को भी गलत बताया है और जूना अखाड़े से उन्हें फिर से शामिल करने की विनती की है.

माँ रीमा ने भी अपने रिश्तेदार पर रंजिश का आरोप लगाया है और कहा है कि उन्होंने झूठा आरोप लगाया है कि उन्होंने 25 लाख रुपये में अपनी बेटी को बेचा है.

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