आगरा। आगरा के भगवान टॉकीज स्थित श्री हरी हॉस्पिटल में मरीजों के साथ किए गए गंभीर लापरवाही के मामले ने स्वास्थ्य सेवा की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। निजी एंबुलेंस चालक द्वारा कमीशन के लिए मरीजों को धोखे से भर्ती करने का मामला सामने आया है। आरोप है कि अस्पताल ने पैसे जमा करने के लिए 5 घंटे तक इलाज नहीं किया।
घटना का विवरण
12 अक्टूबर को चेतन प्रकाश ने अपने छोटे भाई अरविंद, भाभी सरिता और 11 साल की भतीजी प्रतीक्षा के साथ एक दुर्घटना की शिकायत की है। घायल मरीजों को अस्पताल ले जाने वाली निजी एंबुलेंस के चालक ने उन्हें बिना किसी अनुमति के श्री हरी हॉस्पिटल में भर्ती कर दिया। चेतन ने कहा, “मैंने कहा कि सरकारी अस्पताल ले जाएं, लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं मानी।”
चेतन के मुताबिक, जब उन्होंने अस्पताल में जाकर इलाज की लागत के बारे में पूछा, तो अस्पताल के मैनेजर ने उन्हें 55,300 रुपए का बिल थमाते हुए कहा कि बिना पैसे के इलाज नहीं होगा। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने पैसे देने में असमर्थता जताई, तो डॉक्टर ने मरीजों का इलाज रोक दिया और कहा कि “अगर मरीजों की जान चली गई तो मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।”
इलाज के बाद भी गंभीर हालत
चेतन ने आखिरकार पत्नी के गहने गिरवी रखकर 75,500 रुपए जमा किए। तब जाकर उनके मरीजों को अस्पताल से छुट्टी मिली, लेकिन 11 साल की प्रतीक्षा की हालत गंभीर बनी हुई है। उन्होंने शिकायत दर्ज की है कि इलाज में लापरवाही के चलते उनकी भतीजी की जान खतरे में है।
पीड़ित ने मुख्यमंत्री पोर्टल और सीएमओ आगरा से लिखित शिकायत की है और अस्पताल के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है। जिला चिकित्सा अधिकारी ने कहा है कि शिकायत मिलते ही कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला न केवल एक मरीज के लिए दर्दनाक है, बल्कि यह निजी अस्पतालों की कार्यशैली पर भी सवाल उठाता है। ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि गरीब और असहाय मरीजों का शोषण न हो सके।