रामचरितमानस पर बयान देकर फंसे सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य मुस्लिम समुदाय ने माफी मांगने को कहा

Dharmender Singh Malik
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अयोध्या। रामचरितमानस को लेकर दिए विवादित बयान के बाद सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य चौतरफा घिर गए हैं। संत-समाज के बाद अब मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी सपा नेता के बयान का विरोध जताया है। मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों ने सपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री मौर्य द्वारा रामचरितमानस के खिलाफ अपमानजनक टिप्‍पणी करने की कड़ी निंदा कर बयान वापस लेकर माफी मांगने को कहा है।

मौर्य ने श्रीरामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर यह कहते हुए पाबंदी लगाने की मांग की थी कि उनसे समाज के एक बड़े तबके का जाति वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता है। पूर्व मंत्री ने कहा था धर्म का वास्तविक अर्थ मानवता के कल्याण और उसकी मजबूती से है। अगर रामचरितमानस की किन्हीं पंक्तियों के कारण समाज के एक वर्ग का जाति वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता हो तो यह निश्चित रूप से धर्म नहीं बल्कि अधर्म है।

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उन्होंने आरोप लगाया था रामचरितमानस में कुछ पंक्तियों में कुछ जातियों जैसे कि तेली और कुम्हार का नाम लिया गया है। इससे इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं। हालांकि सपा ने मौर्य के बयान से खुद को दूर किया था कि यह उनकी व्यक्तिगत टिप्पणी है। वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उत्तर प्रदेश इकाई ने कहा कि मौर्य इस टिप्पणी के लिए माफी मांगें और अपना बयान वापस लें।
सामाजिक संस्था के अध्यक्ष अतहर हुसैन ने कहा हमारा विनम्र अनुरोध है कि जो लोग किसी भी रूप में सार्वजनिक जीवन में हैं उन्हें किसी भी धार्मिक पुस्तक या व्यक्तित्व पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा बड़े पैमाने पर मुसलमानों के मन में पवित्र साहित्य के रूप में रामचरितमानस के लिए गहरा सम्मान है और हम ऐसी किसी भी टिप्पणी की कड़ी निंदा करते हैं जो इस धार्मिक पुस्तक का अपमान करती है।

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वहीं लखनऊ में प्रसिद्ध टीले वाली मस्जिद के मुतवल्ली मौलाना वासिफ हसन ने कहा एक मुस्लिम और इस्लाम के सच्चे अनुयायी होने के नाते हमारे मन में हिंदू धर्म और उसके धर्मग्रंथों के प्रति आदर और सम्मान है। अयोध्या में बख्शी शहीद मस्जिद के इमाम मौलाना ने कहा रामचरितमानस अवधी भाषा में 16वीं शताब्दी में संत तुलसीदास द्वारा लिखा गया था। काफी हद तक माना जाता है कि यह महाकाव्य मुगल शासनकाल के दौरान अयोध्या में लिखा गया था।

रामचरितमानस के छंद आज भी एक नैतिक समाज एक आदर्श परिवार का संदेश देते हैं। मौलाना सेराज अहमद खान ने कहा बचपन में हम राम चरित मानस भी पढ़ते थे और इसकी नसीहतें अपनाते थे। मुस्लिम समुदाय इस पुस्तक के प्रति किसी भी तरह का अनादर स्वीकार नहीं कर सकता। मैं मांग करता हूं कि मौर्य को अपने शब्द वापस लेने चाहिए।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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