आगरा (लक्ष्मण शर्मा ) : थाना एमएम गेट क्षेत्र अंतर्गत आने वाली चौकी खिड़की काले खां से महज़ चंद कदम की दूरी पर एक वाइन शॉप संचालक द्वारा कोर्ट के स्पष्ट स्टे आदेश और थाना इंचार्ज के नोटिस की खुलेआम अवहेलना करने का मामला सामने आया है।
यह घटना न सिर्फ न्यायिक आदेशों की अनदेखी को उजागर करती है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि कानून की चौखट पर बैठे अधिकारी किस दबाव में या किसकी शह पर कार्रवाई से पीछे हट रहे हैं?
⚖️ क्या है मामला?
पीड़ित सचिन कुमार का अपने भाई रोहित कुमार से संपत्ति को लेकर कोर्ट में विवाद चल रहा है। इसी के चलते कोर्ट ने 25 अक्टूबर 2024 को उस वाइन शॉप पर स्टे का आदेश जारी किया था।
थाना एमएम गेट के प्रभारी अजब सिंह ने कोर्ट के निर्देशानुसार उक्त दुकान पर स्टे नोटिस चस्पा किया था। लेकिन यह नोटिस चस्पा होने के कुछ घंटों बाद ही वाइन शॉप फिर से खोल दी गई।
बताया जा रहा है कि वाइन शॉप संचालक ने थाना प्रभारी द्वारा चस्पा किए गए नोटिस के साथ छेड़छाड़ भी की है। यह सीधा-सीधा न्यायालय और पुलिस प्रशासन के आदेशों की अवहेलना है।
🚨 प्रशासनिक ढिलाई या मिलीभगत?
स्थानीय लोग और पीड़ित परिवार पूछ रहा है कि आखिर किसकी शह पर स्टे लगी दुकान को दोबारा खोला गया?
पीड़ित सचिन ने जब इस मामले की सूचना दोबारा थाना एमएम गेट को दी, तब जाकर पुलिस मौके पर पहुंची और दुकान को बंद कराया।
लेकिन वाइन शॉप संचालक ने फिर से आधा शटर गिराकर दुकान खोल ली, जो यह दर्शाता है कि प्रशासनिक आदेशों का इस दुकान पर कोई असर नहीं हो रहा।
क्या यह न्याय की खुली अवहेलना नहीं?
यह घटना कई सवाल खड़े करती है:
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जब कोर्ट ने स्टे आदेश दिया है, तो उसका पालन क्यों नहीं हो रहा?
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क्या थाना इंचार्ज की भूमिका पर सवाल नहीं उठने चाहिए?
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क्या दुकानदार को किसी “ऊपर” के समर्थन का भरोसा है?