अग्र भारत ब्यूरो
आगरा। सांतवी कक्षा की छात्रा संग प्रेम लीला या दोस्ती करना तो दूरी की बात सूचना भी गुनाह है, लेकिन कहते हैं कि राक्षसों में मानवता नहीं होती। आज इंसानों के भेष में तमाम ऐसे दरिंदे घूम रहे हैं, जो मासूम बच्चियों को शिकार बनाने से नहीं चूक रहे हैं। बीते पांच दिन की बात करें, तो जिलेभर में ये तीन मासूम बच्चियों को हैवानों ने शिकार बनाया है। उनकी हत्या करने तक का प्रयास किया है। वहीं खंदौली थाने क्षेत्र स्थित एक सातवीं कक्षा की छात्रा को एक भाजपा नेता ने इतना प्रताड़ित कर दिया कि वह आत्महत्या करने को मजबूर हो गई।
हालांकि अभी यह बात साफ नहीं हैं कि छात्रा ने आत्महत्या की है, या आरोपी उसे खुद मारकर गया था। पुलिस ने जरूर आत्महत्या की धारा में मुकदमा दर्जकर इतिश्री कर दी है। जबकि घटना के 26 घंटे बाद तक पोस्टमार्टम नहीं हुआ है। पुलिस ने पीड़ित परिवार का 24 घंटे में ईधर से उधर वह हाल किया है कि वह यह सोचने को मजबूर हो गये हैं कि हमे किस बात की सजा मिल रही है।
ये है मामला
खंदौली थाना क्षेत्र के आगरा जलेसर रोड स्थित एक गांव के प्रजापति समाज से एक परिवार रहता है। घर का मुखिया कलक्ट्रेट में सेवक के रूप में काम करते हैं। घर में एक बेटी है। दूसरा सात साल का बेटा है। पत्नी से बच्चे न होने पर बेटी को करीब 12 साल पहले मामा के लड़के से गोद लिया था। उसके बाद एक बेटा हो गया। दोनों बच्चे इसी रोड पर स्थित एक इंगलिश मीडियम स्कूल में पढ़ते हैं। बेटी पढ़ने में होशियार है। पिता बहुत सीधे हैं। कोरोना काल में बेटी को घर से पढ़ाई के लिए मोबाइल खरीदकर दिया था। रविवार को छुट्टी थी। पति-पत्नी खेत पर काम करने चले गये। घर में दोनों बच्चे ही रह गये। शाम चार बजे करीब घर से बेटे ने खबर दी कि दीदी रो रही है। वह परेशान है। छात्रा के पिता के अनुसार वह दोनों घर पहुंचे। बेटी को आनन-फानन में आगरा इमरजेंसी ले गये। डॉक्टर्स ने मृत घोषित कर दिया।
बेटी को सहेली का पिता करता था परेशान
परिजनों के मुताबिक स्कूल में ही गांव नगला अजीता निवासी राघवेंद्र सिंह चौहान की बेटी कृतिका भी पढ़ती है। दोनों बच्ची में दोस्ती थी। कुछ दिनों से बेटी परेशान लग रही थी। ये बात मैंने अपनी पत्नी को बताई। पत्नी ने भी बेटी से टालमटोल कर बात जानने की कोशिश की तो पता चला कि किसी से फोन पर ज्यादा बात हो रही है। पिछले हफ्ते ही पत्नी ने बेटी को बैठकार पूछा। बेटी ने बताया था कि कृतिका के पिता राघवेंद्र चौहान उसे परेशान करता है। बेटी ने बताया था कि राघवेंद्र पिछले कई महीने से पीछे पड़ा है। रास्ते में आते-जाते बदतमीजी करता है। हमेशा फोन कर बात करने के लिए बोलता है। मना करने पर जान से मारने की धमकी भी देता है। जब भी हम लोग घर से बाहर जाते, राघवेंद्र घर पर आकर बेटी को परेशान करता था।
पिता ने बताई ये बात
बेटी को रात आठ बजे तक पोस्टमार्टम गृह में रख दिया। वहां से कह दिया कि घर जाओ कल पोस्टमार्टम होगा। रात 12.30 बजे खंदौली थाने से कॉल कर बुलाया गया। वहां गये तो देखा राघवेन्द्र चौहान पुलिस गिरफ्त में था। उसकी पहचान कराई, तो पिता ने कह दिया कि फ्लां नेता हैं वैसे नहीं जानता। बेटे को लेकर आओ। रात ढाई बजे बेटे को लेकर फिर से थाने गया। पुलिस ने मासूम बच्चे को उस हैवान के सामने खड़ा कर दिया। दरोगा बोले इनको जानते हो। इस पर बेटे ने कहा कि हां यह घर आते हैं। स्कूल में भी मिलते हैं। आरोपी बेटे को आंख दिखा रहा था। वह डर गया और पिता की गोद में सिमट गया। सबसे बड़ा सवाल और हैरत की बात तो यह है कि पुलिस कायदा कानून सब भूल गई है कि सात साल के बच्चे से आरोपी की पहचान आमने-सामने खड़े होकर करवा रही है। रात में थाने बुलाया।
पोस्टमार्टम में पुलिस लेटलतीफी क्यों कर रही है? यह भी एक गंभीर बात है। 26 घंटे में भी छात्रा का पीएम नहीं हो सका है। पिता से कहा कि पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी होगी। इसके लिए 2500 रुपये जमा कर दो। पिता ने रुपये जमा करवाये। यहीं कोई बवाली परिवार होता। पीड़ित भी सत्ताधारी होता। हंगामा करता, रोड जाम करता, तो क्या पुलिस इतनी लापरवाही करती या पोस्टमार्टम के लिए पीड़ित से ही रुपये जमा करवाती?
आरोपी राघवेन्द्र सिंह चौहान ब्रज क्षेत्र का कार्यसमिति सदस्य है। इसके एक विधायक के साथ तमाम फोटो हैं। वह विधायक का इतना करीबी है कि हवन जैसे कायों में उनके बराबर पर बैठता है।
रुबाव और रुतवा देख डर गये थे परिजन
पिता के मुताबिक छात्रा ने राघवेंद्र पर जबरन संबंध बनाने के भी आरोप लगाए थे। घरवालों ने उसे राघवेंद्र से बात नहीं करने की कहकर चुप रह गये। वह जानते थे कि राघवेन्द्र चौहान सत्ताधारी नेता है। वह विधायक का करीबी है। वह आये दिन पीड़ित के गांव में भी रुतवा दिखाता था। वहीं पिता ने यह भी कहा कि साहब हम गरीब और छोटी जाति के लोग हैं। राघवेन्द्र चौहान का चाहकर भी कुछ नहीं कर कसते थे। इसलिए बेटी को समझाया कि उससे दूर रहे।
घटना वाले दिन आरोपी आया था घर
छोटे भाई ने बताया कि रविवार को दीदी किसी से फोन पर बात कर रही थी। वह चीख रही थी, रो भी रही थी, बार-बार फोन नहीं करने की बात कह रही थी। करीब आधे घंटे तक वह आंगन में फोन पर बात करती रही। पिता का आरोप है कि उसके बाद रविवार शाम को राघवेन्द्र घर छात्रा के पास घर आया और बच्चे को बाहर बिठा दिया। आसपास के लोग दबी जुबान से कह रहे हैं कि आरोपी घर में कोई नहीं होता था, उसके बाद आता। पूछने पर यही कहता कि बेटी के लिए छात्रा से कुछ नोटस लेने आया है। पिता ने रोते हुए बताया कि घर आने देखा कि बेटी के गले पर नाखून के निशान थे। उसकी पीठ पर भी खरोच थीं। दोनों हाथ लाल हो रहे थे। ऐसा लगात है कि उसके हाथ बांधे हैं या मजबूती से पकड़ने पर लाल निशान हो गये हैं।