श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए गठित श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी, 2024 की तारीख निर्धारित की है। इस बीच, ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने ट्रस्ट से एक सवाल किया है कि यदि नई मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी, तो रामलला की पुरानी मूर्ति का क्या होगा?
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा है कि रामलला की पुरानी मूर्ति को विवादित ढांचे में अद्भुत चमत्कार के साथ प्रकट हुआ था और वह पहले से ही जन्मस्थान पर विराजमान है। उन्होंने कहा कि नई मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा से पहले से ही विराजमान भगवान राम की मूर्ति की उपेक्षा हो सकती है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास को पत्र लिखते हुए कहा है कि रामलला ने अपने जन्म स्थान पर रहकर कई कष्ट सहे हैं, उन्होंने अपना अपना मुकदमा लड़कर अपना जन्म स्थान पाया है। उनके साथ राम मंदिर आंदोलन में जान गंवाने वाले अनेक आंदोलनकारियों की यादें जुड़ी हैं।
उन्होंने कहा कि अदालत में यह तर्क भी दिया गया था कि रामलला एक जीवित एंटिटी हैं, उनकी मूर्ति को न तो हटाया जा सकता है, और न ही उनकी मूर्ति को बदला जा सकता है। ऐसे में रामलला की नई मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा उन तर्कों को गलत करार देने जैसा भी है।
ट्रस्ट ने दिया ये जवाब
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के संयुक्त महासचिव डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने एक प्रेस कांफ्रेंस में इस प्रश्न का जवाब दे दिया था। उन्होंने बताया था कि रामलला की पुरानी प्रतिमा को नवनिर्मित मंदिर के अंदर ही एक अन्य स्थान पर स्थापित किया जाएगा और उनकी भी लगातार पूजा की जाएगी। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट ने इस संबंध में सभी धार्मिक विद्वानों से सलाह ली है और सभी का मानना है कि रामलला की पुरानी मूर्ति को मंदिर के अंदर ही स्थापित किया जाना चाहिए।